आज यानी 16 मार्च 2025 को देश भर में होली भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है। यह त्योहार भाई बहन के पवित्र रिश्ते में मज़बूती लाता है। यह दिन यम देव और उनकी बहन देवी यमुना को समर्पित है। हिन्दू धर्म की पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त और तिथि का विशेष महत्व है और यह परम्परा सनातन काल से चली आ रही है। इस दिन सभी बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र और ख़ुशहाली के लिए प्रार्थना करती है, और भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं।
भाई दूज पर भाइयों को तिलक लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि यह त्योहार न सिर्फ़ भाई बहन के रिश्ते को मज़बूत बनाता है बल्कि यमदेव की कृपा से जीवन में सुख समृद्धि का आशीर्वाद भी लाता है। इतना ही नहीं इस त्योहार को लेकर ऐसा भी कहा गया है कि जो भी साधक इस दिन पूरे भाव के साथ यमदेव और यमुना कि पूजा पाठ करते हैं, उन्हें जीवन में सकारात्मक ऊर्जा सफलता की प्राप्ति होती है।

होली भाई दूज 2025 का शुभ मुहूर्त (Holi Bhai Dooj)
हिन्दू धर्म में हर शुभ कार्य के लिए शुभ मुहूर्त ज़रूर देखा जाता है। आज होली भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है और इस दिन पूजा पाठ को तिलक लगाने के लिए ये शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व है। सुबह 10 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा। अगर आप अपने भाई को तिलक करना चाहते हैं तो समय का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इसके बाद 1 बजे से शाम 4 बजे तक का बहुत अच्छा नहीं है, इस समय अपने भाई को तिलक करने से बचें।
द्वीपुष्कर योग: 11 बजकर 45 मिनट से शाम 4 बजकर 58 मिनट तक
अमृत सिद्धि योग: सुबह 6 बजकर 30 मिनट से 11 बजकर 45 मिनट तक
सर्वार्थसिद्धि योग: सुबह 6 बजकर 30 मिनट से 11 बजकर 45 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक
विजय मुहूर्त: 2 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 18 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6 बजकर 28 मिनट से 6 बजकर 52 मिनट तक
शुभ मुहूर्त का महत्व
पंचांग के अनुसार आज के दिन शुभ मुहूर्त में कार्य करने से सफलता और सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। अशुभ समय में कार्य करने से हमेशा बचना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की बाधा से बचा जा सके। इस बात का ध्यान रखें इस दिन चन्द्र राशि कन्या है, जो विवेक और संयम का प्रतीक मानी जाती है। ताराबल और चंद्रबल के अनुसार आज का दिन नए कार्यों को शुरू करने और शुभ कार्यों को पूरा करने के लिए उत्तम है।
पूजा मंत्र
1. यमस्वसर्नमस्तेऽसु यमुने लोकपूजिते। वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते॥
2. ॐ नमो भगवत्यै कलिन्दनन्दिन्यै सूर्यकन्यकायै यमभगिन्यै श्रीकृष्णप्रियायै यूथीभूतायै स्वाहा॥
3. धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज। पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते॥
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।