होली को रंगों का त्योहार माना जाता है, इस त्योहार को बसंत ऋतु के आगमन और अच्छाई की बुराई पर विजय की ख़ुशी के रूप में मनाया जाता है। आप सभी जानते ही होंगे कि होली के दिन सभी एक दूसरे को रंग लगाते हैं, घरों में तरह तरह के पकवान बनते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कई राज्य ऐसे भी हैं जहाँ होली रंगों से नहीं खेली जाती है बल्कि वहाँ के लोग होली को अलग तरीक़े से मनाते हैं।
होली का त्योहार भारत के हर कोने में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, रंगों वाली होली के बारे में तो सभी जानते हैं, आज हम आपको इस आर्टिकल में उन राज्यों के बारे में बताएँगे जहाँ होली पर रंगों की बौछार नहीं होती है बल्कि इन राज्यों में होली को मनाने का अलग और अनूठा तरीक़ा है। चलिए फिर बिना देर करते हुए जान लेते हैं।

भारत के कोने-कोने में कैसे मनाई जाती है होली (Holi 2025)
फूलों की होली
वृंदावन, जिसे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म स्थान माना जाता है, यहाँ होली रंग बिरंगे फूलों से खेली जाती है। यहाँ के लोग गुलाल और रंगों की जगह गुलाब, सूरजमुखी और तरह तरह के फूलों की पंखुड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। इस दिन सभी लोग बृंदावन के मंदिरों में एकत्रित होते हैं और एक दूसरे पर फूलों की वर्षा करते हैं, इस तरह वृंदावन में होली का त्योहार ख़ुशबू की हवा में घुल जाता है। इतना ही नहीं वृंदावन की होली में शामिल होने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।
लठमार होली
उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर बरसाना में होली का उत्सव कुछ अलग तरीक़े से मनाया जाता है। यहाँ खेली जाने वाली होली को लठमार होली कहा जाता है। लठमार होली भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी से जुड़ी हुई है। इस दिन नंदगाँव के कुछ पुरुष बरसाना आते हैं, लेकिन बरसाना की महिलाएँ लाठियों से उन्हें दौड़ाती है। इस खेल में महिलाएँ पुरुषों को लाठी से मारती है और पुरुष ख़ुद को बचाने की कोशिश करते हैं। यही कारण है कि इस होली को लठमार होली का नाम दिया गया है, इस तरह बरसाना और नंदगाँव के लोग हँसी, ठिठोली, संगीत और रंगीन रंगों से लठमार होली मनाते हैं।
रॉयल होली
उदयपुर में खेली जाने वाली होली को रॉयल होली कहा जाता है। क्योंकि यह होली का त्योहार सिटी पैलेस में मनाया जाता है, जहाँ पर अलग अलग रॉयल परिवार इस उत्सव में भाग लेते हैं। स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों ही इस उत्सव में शामिल हो सकते हैं, इसमें गुलाल और रंग बिरंगे रंगों से होली खेली जाती है, राजस्थानी गाने बजाए जाते हैं, अलग अलग प्रस्तुतियां होती है।
शिगमो
गोवा में खेली जाने वाली होली को शिगमो कहा जाता है। इससे दिन लोग रंग बिरंगे कपड़े पहनता सड़कों पर जुलूस निकालते हैं, लोग रोड पर नाचते हैं, गाते हैं तरह तरह के संगीत बजाते हैं। इसे बसंत ऋतु के स्वागत के रूप में देखा जाता है। लोग रंगों से लड़ते हैं एक दूसरे के ऊपर रंग फेंकते हैं। इस त्योहार पर गोवा कि पारंपरिक संस्कृति, संगीत और नाच दिखाई देते हैं।
मंजल कुली
केरल में खेली जाने वाली होली को मंजल कुली के नाम से जाना जाता है। अगर आप नहीं जानते हैं कि मंजल का क्या मतलब होता है तो हम आपको बता देते हैं कि मंजल मतलब हल्दी होता है। इस त्योहार के दिन लोग एक दूसरे पर हल्दी लगाते हैं, सभी लोग इस दिन पीले पीले नज़र आते हैं। इसके अलावा रंग बिरंगे रंगों का भी इस्तेमाल किया जाता है। एक दूसरे को हल्दी लगाकर लोग अपनी ख़ुशी व्यक्त करते हैं, और धूमधाम से त्योहार मनाते हैं।