Rang Panchami पर बिना किसी को बताए सिर्फ 1 मिनट में करें ये काम, राधा-कृष्ण बरसाएंगे कृपा

Rang Panchami सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि शुभ अवसर है जब राधा-कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है। अगर आप जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली चाहते हैं, तो इस दिन बस एक छोटा सा काम कर लीजिए।

आज 19 मार्च 2025 को देश भर में रंग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। होली की तरह यह त्योहार भी रंगों का त्योहार होता है, कई जगहों पर होली से ज़्यादा धूम इस दिन दिखाई देती है। रंग पंचमी के दिन लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल अर्पित करते हैं, ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आकर रंगों के इस उत्सव में शामिल होते हैं।

रंग पंचमी का त्योहार होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग डालकर खुशियां मनाते हैं, रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा का विशेष महत्व है। अगर आप भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो रंग पंचमी के दिन पूजा-पाठ के अलावा राधा कृष्ण स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, ऐसा करने से लाभ प्राप्त होते हैं।

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Rang Panchami पर करें राधा कृष्ण स्तोत्र का पाठ

राधा कृष्ण स्तोत्र

वन्दे नवघनश्यामं पीतकौशेयवाससम् ।

सानन्दं सुन्दरं शुद्धं श्रीकृष्णं प्रकृतेः परम् ॥

राधेशं राधिकाप्राणवल्लभं वल्लवीसुतम् ।

राधासेवितपादाब्जं राधावक्षस्थलस्थितम् ॥

राधानुगं राधिकेष्टं राधापहृतमानसम् ।

राधाधारं भवाधारं सर्वाधारं नमामि तम् ॥

राधाहृत्पद्ममध्ये च वसन्तं सन्ततं शुभम् ।

राधासहचरं शश्वत् राधाज्ञापरिपालकम् ॥

ध्यायन्ते योगिनो योगान् सिद्धाः सिद्धेश्वराश्च यम् ।

तं ध्यायेत् सततं शुद्धं भगवन्तं सनातनम् ॥

निर्लिप्तं च निरीहं च परमात्मानमीश्वरम् ।

नित्यं सत्यं च परमं भगवन्तं सनातनम् ॥

यः सृष्टेरादिभूतं च सर्वबीजं परात्परम् ।

योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनम् ॥

बीजं नानावताराणां सर्वकारणकारणम् ।

वेदवेद्यं वेदबीजं वेदकारणकारणम् ॥

योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनम् ।

गन्धर्वेण कृतं स्तोत्रं यः पठेत् प्रयतः शुचिः ।

इहैव जीवन्मुक्तश्च परं याति परां गतिम् ॥

हरिभक्तिं हरेर्दास्यं गोलोकं च निरामयम् ।

पार्षदप्रवरत्वं च लभते नात्र संशयः ॥

कैलासवासिन्! भगवन् भक्तानुग्रहकारक!।

राधिकाकवचं पुण्यं कथयस्व मम प्रभो ॥

यद्यस्ति करुणा नाथ! त्राहि मां दुःखतो भयात्।

त्वमेव शरणं नाथ! शूलपाणे! पिनाकधृक् ॥

शृणुष्व गिरिजे तुभ्यं कवचं पूर्वसूचितम्।

सर्वरक्षाकरं पुण्यं सर्वहत्याहरं परम् ॥

हरिभक्तिप्रदं साक्षात् भुक्तिमुक्तिप्रसाधनम्।

त्रैलोक्याकर्षणं देवि हरिसान्निद्ध्यकारकम् ॥

सर्वत्र जयदं देवि, सर्वशत्रुभयापहं।

सर्वेषाञ्चैव भूतानां मनोवृत्तिहरं परम् ॥

चतुर्धा मुक्तिजनकं सदानन्दकरं परम्।

राजसूयाश्वमेधानां यज्ञानां फलदायकम् ॥

इदं कवचमज्ञात्वा राधामन्त्रञ्च यो जपेत्।

स नाप्नोति फलं तस्य विघ्नास्तस्य पदे पदे ॥

ऋषिरस्य महादेवोऽनुष्टुप् च्छन्दश्च कीर्तितम्।

राधास्य देवता प्रोक्ता रां बीजं कीलकं स्मृतम् ॥

धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः ।

श्रीराधा मे शिरः पातु ललाटं राधिका तथा ॥

श्रीमती नेत्रयुगलं कर्णौ गोपेन्द्रनन्दिनी ।

हरिप्रिया नासिकाञ्च भ्रूयुगं शशिशोभना ॥

ऒष्ठं पातु कृपादेवी अधरं गोपिका तदा।

वृषभानुसुता दन्तांश्चिबुकं गोपनन्दिनी ॥

चन्द्रावली पातु गण्डं जिह्वां कृष्णप्रिया तथा

कण्ठं पातु हरिप्राणा हृदयं विजया तथा ॥

बाहू द्वौ चन्द्रवदना उदरं सुबलस्वसा।

कोटियोगान्विता पातु पादौ सौभद्रिका तथा ॥

जङ्खे चन्द्रमुखी पातु गुल्फौ गोपालवल्लभा।

नखान् विधुमुखी देवी गोपी पादतलं तथा ॥

शुभप्रदा पातु पृष्ठं कक्षौ श्रीकान्तवल्लभा।

जानुदेशं जया पातु हरिणी पातु सर्वतः ॥

वाक्यं वाणी सदा पातु धनागारं धनेश्वरी।

पूर्वां दिशं कृष्णरता कृष्णप्राणा च पश्चिमाम् ॥

उत्तरां हरिता पातु दक्षिणां वृषभानुजा।

चन्द्रावली नैशमेव दिवा क्ष्वेडितमेखला ॥

सौभाग्यदा मध्यदिने सायाह्ने कामरूपिणी ।

रौद्री प्रातः पातु मां हि गोपिनी रजनीक्षये ॥

हेतुदा संगवे पातु केतुमालाऽभिवार्धके।

शेषाऽपराह्नसमये शमिता सर्वसन्धिषु ॥

योगिनी भोगसमये रतौ रतिप्रदा सदा।

कामेशी कौतुके नित्यं योगे रत्नावली मम ॥

सर्वदा सर्वकार्येषु राधिका कृष्णमानसा।

इत्येतत्कथितं देवि कवचं परमाद्भुतम् ॥

सर्वरक्षाकरं नाम महारक्षाकरं परम्।

प्रातर्मद्ध्याह्नसमये सायाह्ने प्रपठेद्यदि ॥

सर्वार्थसिद्धिस्तस्य स्याद्यद्यन्मनसि वर्तते।

राजद्वारे सभायां च संग्रामे शत्रुसङ्कटे ॥

प्राणार्थनाशसमये यः पठेत्प्रयतो नरः।

तस्य सिद्धिर्भवेत् देवि न भयं विद्यते क्वचित् ॥

आराधिता राधिका च येन नित्यं न संशयः।

गंगास्नानाद्धरेर्नामश्रवणाद्यत्फलं लभेत् ॥

तत्फलं तस्य भवति यः पठेत्प्रयतः शुचिः।

हरिद्रारोचना चन्द्रमण्डलं हरिचन्दनम् ॥

कृत्वा लिखित्वा भूर्जे च धारयेन्मस्तके भुजे।

कण्ठे वा देवदेवेशि स हरिर्नात्र संशयः ॥

कवचस्य प्रसादेन ब्रह्मा सृष्टिं स्थितिं हरिः।

संहारं चाहं नियतं करोमि कुरुते तथा ॥

वैष्णवाय विशुद्धाय विरागगुणशालिने

दद्याकवचमव्यग्रमन्यथा नाशमाप्नुयात् ॥

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।

 


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Bhawna Choubey

Bhawna Choubey

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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