हर साल हिंदू पंचाग के मुताबिक़ माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि का पर्व शुरू होता है तथा इसे 9 दिनों तक मनाया जाता है । बता दें कि हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक त्योहारों कि सूची में गुप्त नवरात्रि का बहुत ही महत्त्व होता है। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी बुधवार को शुरू हो रही है , तथा 11 फरवरी 2022 को शुक्रवार के दिन माता के विदाई के साथ इसका समापन किया जाएगा।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस वर्ष गुप्त नवरात्रि के 2 विशेष योग बन रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि साल में दो बार गुप्त नवरात्रि का त्योहार हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। आषाढ़ मास में पहली गुप्त नवरात्रि तथा माघ मास में दूसरी गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि के रवि योग और स्वार्थ सिद्धि योग के दौरान पूजा करने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है, तथा मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी करती हैं।
बता दें कि साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है , जिनमें से दो प्रकट नवरात्रि , तथा दो गुप्त नवरात्रि होती है । चैत्र और आश्विन मास के दौरान मनाई जाने वाली नवरात्रि को प्रकट नवरात्रि कहा जाता है। तो वही माघ और आषाढ़ में मनाई जाने वाली नवरात्रि “गुप्त नवरात्रि” कहलाती है । मान्यताओं के अनुसार इस दौरान 10 देवियां तारा , भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर सुंदरी , काली , भैरवी, बांग्ला मुखी , धूमावती इत्यादि शक्ति के रूपों की गुप्त तरीके से आस्था -श्रद्धा के साथ पूजा उपासना की जाती है। इस वर्ष मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आएंगी तथा हाथी पर सवार होकर विदा की जाएंगी।
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क्यों मनायी जाती है गुप्त नवरात्रि ?
गुप्त नवरात्रि की उपासना पौराणिक काल से ही आस्था और श्रद्धा के साथ की जा रही है । ऐसा मानना है कि गुप्त नवरात्रि की उपासना से जीवन तनाव से मनुष्य मुक्त हो जाता है । इस दौरान श्रद्धालु मां शक्ति के खास जाप करते हैं , ताकि उनके जीवन की सभी समस्याओं से उन्हें मुक्ति प्रदान हो जाए। इसी दौरान यह भी मान्यता है कि मां की आराधना से कोई भी सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। गुप्त नवरात्रि का तंत्र -साधना , जादू -टोना , वशीकरण आदि चीजों के लिए विशेष महत्व होता है। पूजा के वक्त श्रद्धालुओं द्वारा मां दुर्गा की कठिन भक्ति और उपासना की जाती है और निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि की विधि भी संपन्न की जाती है। दरअसल गुप्त नवरात्रि संतों और साधकों के द्वारा बनाई जाती है । इसका आयोजन किसी उत्सव की भांति नहीं होता। प्रकट नवरात्रि से अलग इस पूजा के दौरान खास पूजा और साधना की जाती है तथा विशेष कामना हेतु तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए होती है।