Tue, Dec 30, 2025

Mangla Gauri Vrat 2024:आज रखा जाएगा मंगला गौरी व्रत, अखंड सौभाग्य के लिए जरूर करें ये काम, जानें

Written by:Bhawna Choubey
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Mangla Gauri Vrat 2024: सावन मास का पहला मंगलवार, 23 जुलाई 2024, मंगला गौरी व्रत के रूप में मनाया जा रहा है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए माता पार्वती की पूजा करती हैं।
Mangla Gauri Vrat 2024:आज रखा जाएगा मंगला गौरी व्रत, अखंड सौभाग्य के लिए जरूर करें ये काम, जानें

Mangla Gauri Vrat 2024: सनातन धर्म में सावन मास को बेहद पवित्र माना जाता है। इस मास में आने वाले मंगलवारों का विशेष महत्व है। इन दिनों को मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, जिसके माध्यम से वे अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। वहीं, कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को सच्चे मन से रखकर मनचाहा वर पाने की आशा रखती हैं।

यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत में माता पार्वती की पूजा की जाती है, जो पतिव्रता और सौभाग्य की देवी हैं। माता पार्वती की चालीसा का पाठ इस व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। माना जाता है कि इस चालीसा का पाठ करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, पारिवारिक जीवन सुखमय होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मंगला गौरी व्रत की तिथियां

मंगलवार, 23 जुलाई 2024
मंगलवार, 30 जुलाई 2024
मंगलवार, 6 अगस्त 2024
मंगलवार, 13 अगस्त 2024

मंगला गौरी व्रत का महत्व

सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं। कुंवारी कन्याएं इस व्रत को अपनी मनोकामना पूर्ति और अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। यह व्रत पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी लाभदायक माना जाता है। मंगला गौरी व्रत कष्टों का नाश करने वाला और मंगल फल देने वाला माना जाता है।

मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि

1. प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. घर के मंदिर में माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
3. माता पार्वती को षोडशोपचार पूजन अर्चना करें।
4. माता पार्वती को श्रद्धाभाव से भोग लगाएं।
5. मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ करें।
6. माता पार्वती की आरती गाएं।
7. दिन भर व्रत रखें और शाम को फलाहार करें।
8. अगले दिन व्रत का पारण करें।

।।गौरी चालीसा।।

।।चौपाई।।

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मन मंदिर मेरे आन बसो,

आरम्भ करूं गुणगान,

गौरी माँ मातेश्वरी,

दो चरणों का ध्यान।

पूजन विधि न जानती,

पर श्रद्धा है अपार,

प्रणाम मेरा स्वीकारिये,

हे माँ प्राण आधार।

नमो नमो हे गौरी माता,

आप हो मेरी भाग्य विधाता,

शरणागत न कभी घबराता,

गौरी उमा शंकरी माता।

आपका प्रिय है आदर पाता,

जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,

महादेव गणपति संग आओ,

मेरे सकल क्लेश मिटाओ।

सार्थक हो जाए जग में जीना,

सत्कर्मो से कभी हटूं ना,

सकल मनोरथ पूर्ण कीजो,

सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।

हे माँ भाग्य रेखा जगा दो,

मन भावन सुयोग मिला दो,

मन को भाए वो वर चाहूं,

ससुराल पक्ष का स्नेहा मैं पायु।

परम आराध्या आप हो मेरी,

फ़िर क्यों वर में इतनी देरी,

हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो,

थोडे़ में बरकत भर दीजियो।

अपनी दया बनाए रखना,

भक्ति भाव जगाये रखना,

गौरी माता अनसन रहना,

कभी न खोयूं मन का चैना।

देव मुनि सब शीश नवाते,

सुख सुविधा को वर मैं पाते,

श्रद्धा भाव जो ले कर आया,

बिन मांगे भी सब कुछ पाया।

हर संकट से उसे उबारा,

आगे बढ़ के दिया सहारा,

जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे,

निराश मन में आस जगावे।

शिव भी आपका काहा ना टाले,

दया दृष्टि हम पे डाले,

जो जन करता आपका ध्यान,

जग में पाए मान सम्मान।

सच्चे मन जो सुमिरन करती,

उसके सुहाग की रक्षा करती,

दया दृष्टि जब माँ डाले,

भव सागर से पार उतारे।

जपे जो ओम नमः शिवाय,

शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,

जिसपे आप दया दिखावे,

दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।

सात गुण की हो दाता आप,

हर इक मन की ज्ञाता आप,

काटो हमरे सकल क्लेश,

निरोग रहे परिवार हमेशा।

दुख संताप मिटा देना माँ,

मेघ दया के बरसा देना माँ,

जबही आप मौज में आय,

हठ जय माँ सब विपदाएं।

जिस पे दयाल हो माता आप,

उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,

फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ,

श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।

अवगुण दृष्टि दृष्टि दृष्टि मेरे ढक देना माँ,

ममता आंचल कर देना मां,

कठिन नहीं कुछ आपको माता,

जग ठुकराया दया को पाता।

बिन पाऊ न गुन माँ तेरे,

नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,

जितने आपके पावन धाम,

सब धामो को मां प्राणम।

आपकी दया का है ना पार,

तभी को पूजे कुल संसार,

निर्मल मन जो शरण में आता,

मुक्ति की वो युक्ति पाता।

संतोष धन्न से दामन भर दो,

असम्भव को माँ सम्भव कर दो,

आपकी दया के भारे,

सुखी बसे मेरा परिवार।

आपकी महिमा अति निराली,

भक्तो के दुःख हरने वाली,

मनोकामना पुरन करती,

मन की दुविधा पल मे हरती।

चालीसा जो भी पढें सुनाया,

सुयोग वर् वरदान में पाए,

आशा पूर्ण कर देना माँ,

सुमंगल साखी वर देना माँ।

गौरी माँ विनती करूँ,

आना आपके द्वार,

ऐसी माँ कृपा किजिये,

हो जाए उद्धार।

हीं हीं हीं शरण में,

दो चरणों का ध्यान,

ऐसी माँ कृपा कीजिये,

पाऊँ मान सम्मान।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)