Vastu Tips: घर में ईश्वर का स्थान और पूजा-पाठ का सही तरीके से होना न केवल हमारी आस्था का प्रतीक है। बल्कि यह हमारे परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर का निर्माण और स्थान का चयन ध्यानपूर्वक किया जाना चाहिए। सही दिशा में स्थापित पूजा घर से देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और परिवार में शांति एवं समृद्धि का वास भी होता है।
यदि पूजा घर वास्तु के नियमों का पालन नहीं करता है, तो यह न केवल पूजा के प्रभाव को कम कर सकता है। बल्कि नकारात्मक ऊर्जा का कारण भी बन सकता है। इसलिए उचित दिशा, व्यवस्था के साथ पूजा घर की स्थापना करना बेहद जरूरी होता है। ताकि हम ईश्वर की कृपा का पूरा लाभ उठा सकें और जीवन में सुख शांति का अनुभव प्राप्त कर सके।
पूजा घर की स्थापना
पूजा घर बनाते समय पूर्व या उत्तर दिशा को प्राथमिकता देना चाहिए। जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके। अगर आपके पास पहले से पूजा घर है तो उसे वास्तु के अनुसार व्यवस्थित करने से आपके घर में शांति और सुख बढ़ेगा और पूजा का लाभ भी अधिकतम हो सकेगा।
पूजा करने की सही दिशा
आपका पूजा घर किसी भी दिशा में हो लेकिन देवी देवता का मुख उत्तर-पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए। पूजा करते समय इस दिशा को शुभ माना जाता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करती है और ध्यान एवं भक्ति में वृद्धि करती है। इस दिशा में पूजा करने से आपको मानसिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे आपके जीवन में सुख शांति का संचार होता है।
पूजा कक्ष का रंग
वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष एक शांत और पवित्र स्थान होना चाहिए। इसका रंग भी शांति सकारात्मक को दर्शाने वाला होना चाहिए। ऐसे में पूजा घर के लिए सफेद, पीला, लाइट ब्लू और नारंगी जैसे हल्के और सुखद रंगों का चयन करना बेहतर होता है। यह रंग न केवल माहौल को शांति प्रदान करते हैं। बल्कि पूजा करते समय मन को भी स्थिर और केंद्रित रखते हैं।
पूजा स्थल का सही स्थान
अगर आप वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष बनाना चाहते हैं, तो यह आवश्यक है कि यह सीढ़ियों और बाथरूम से दूर स्थित हो। ऐसा करने से पूजा स्थल की पवित्रता बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है। एक शांत और स्वच्छ वातावरण में पूजा करने से आपकी भक्ति और ध्यान में वृद्धि होती है। जिससे आपको अधिक सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होगा।
ऊपर रखें देवताओं का स्थान
वास्तु शास्त्र के अनुसार देवी-देवताओं की मूर्तियों को जमीन पर नहीं रखना चाहिए इसके बजाय उन्हें एक मंच या फिर चौकी पर स्थापित करना चाहिए। अपने देवताओं को जमीनी स्तर से ऊपर रखने से न केवल पूजा की पवित्रता बढ़ती है बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी सुनिश्चित करता है।
मूर्तियों की सही स्थापना
पूजा कक्ष में मूर्तियों को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए। मूर्तियां और दीवार के बीच कम से कम एक से डेढ़ इंच की जगह छोड़ना जरूरी होता है। यह अंतर न केवल पूजा की पवित्रता को बनाए रखना है, बल्कि ऊर्जा के प्रवाह को भी बेहतर बनाता है इस तरह से स्थापित मूर्तियां अधिक आशीर्वाद और सकारात्मक प्रदान करती हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।