नसीर शेरियारजी गौवादिया, जो मुंबई में पैदा हुए थे, अमेरिका के सबसे खतरनाक युद्धक विमान B2 स्टील्थ बॉम्बर के डिजाइनर थे। उन्होंने इंजन और इग्जॉस्ट सिस्टम बनाया, जिससे विमान को रडार पर पकड़ना मुश्किल हो गया। लेकिन बाद में यही वैज्ञानिक देशद्रोह का दोषी पाया गया, जब उन्होंने इन तकनीकों की जानकारी विदेशों को बेच दी।
गौवादिया का सफर मुंबई से अमेरिका तक प्रेरणादायक था, लेकिन उनका अंजाम चौंकाने वाला रहा। उन्होंने अमेरिका के B2 बॉम्बर के इंजन को इस तरह डिजाइन किया कि विमान का हीट सिग्नेचर कम हो जाए और उसे रडार या मिसाइल से ट्रैक न किया जा सके। परन्तु यह प्रतिभाशाली वैज्ञानिक बाद में एक खतरनाक मोड़ पर पहुंचा, जब उसने ये संवेदनशील तकनीकें चीन सहित अन्य देशों को बेचीं। अमेरिका की अदालत ने उसे दोषी ठहराया और 32 साल की सजा सुनाई।

अमेरिका में बसा भारतीय, जिसने रचा था आधुनिक युद्धक इतिहास
नसीर गौवादिया ने 1960 के दशक में भारत से अमेरिका जाकर इंजीनियरिंग की दुनिया में कदम रखा। वहां उन्होंने B2 बॉम्बर के प्रोजेक्ट में अहम भूमिका निभाई। इस स्टील्थ तकनीक के कारण अमेरिकी सेना ने कई मिशनों को बिना रुकावट के अंजाम दिया। गौवादिया की डिजाइन की वजह से यह विमान रडार पर लगभग अदृश्य बन गया था। वह एक बेहद टैलेंटेड एयरोस्पेस इंजीनियर थे और अमेरिकी सेना उन्हें बहुत महत्व देती थी। पर तकनीकी महारथ के साथ-साथ नैतिक जिम्मेदारी भी ज़रूरी होती है, जिसकी अनदेखी उनके मामले में सामने आई।
कैसे देश का बेटा बन गया जासूस, और क्या रहा उसका अंजाम?
गौवादिया ने 2003 से 2005 के बीच चीन समेत अन्य देशों को 6 बार विज़िट किया और B2 बॉम्बर की जानकारी साझा की। इसके बदले उन्हें लाखों डॉलर मिले, जिनका इस्तेमाल उन्होंने निजी मकान की किश्त चुकाने में किया। अमेरिका की खुफिया एजेंसियों को जब इसकी भनक लगी, तो उनके खिलाफ जांच शुरू हुई। 2005 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और 2010 में उन्हें 14 गंभीर अपराधों का दोषी पाया गया। आज वह अमेरिका की हाई सिक्योरिटी जेल में हैं, और उनकी रिहाई 2032 के आसपास संभावित है।