इंदौर सिर्फ आधुनिकता और सफाई के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि यहां की गलियों और पुरानी इमारतों में इतिहास आज भी सांस लेता है। इन्हीं ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है, ‘चोर बावड़ी’।
नाम सुनते ही दिमाग में कई सवाल उठते हैं क्या वाकई यहां चोर छुपते थे? क्या यह सिर्फ एक बावड़ी है या इसके पीछे छिपा है कोई बड़ा रहस्य? इस लेख में हम आपको लेकर चलेंगे एक ऐसे सफर पर, जहां इतिहास और रहस्य एक साथ मिलते हैं।
क्यों खास है चोर बावड़ी?
चोर बावड़ी कोई आम बावड़ी नहीं है। ये एक स्टेपवेल है जिसे बेहद खूबसूरती से पत्थरों से तराशा गया है। इसे 18वीं सदी में महारानी अहिल्याबाई होल्कर के आदेश पर बनवाया गया था। उस दौर में यह स्थानीय लोगों के लिए पानी का मुख्य स्रोत हुआ करती थी और बरसात का पानी सहेजने का जरिया भी।
चोर बावड़ी नाम कैसे पड़ा?
इसका नाम “चोर बावड़ी” इसलिए पड़ा क्योंकि लोककथाओं के मुताबिक पुराने समय में चोर अपने चोरी किए हुए सामान को इसी बावड़ी में छिपाया करते थे। कहते हैं कि इसकी गहराई और संरचना ऐसी थी कि आसानी से कोई अंदर कुछ छुपा सकता था और किसी को खबर भी नहीं होती।
संरक्षण और पर्यटन में बढ़ता रुझान
आज जब पर्यावरण और जल संकट की बातें हो रही हैं, ऐसे में चोर बावड़ी एक प्रेरणा बनकर उभरी है। इसे हाल ही में रेनोवेट किया गया है ताकि इसकी ऐतिहासिक खूबसूरती और उपयोगिता को संरक्षित किया जा सके। अब यह जगह स्थानीय लोगों के साथ-साथ टूरिस्ट्स के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनती जा रही है।
आज क्या है स्थिति?
आज की तारीख में चोर बावड़ी इंदौर की एक ऐतिहासिक और टूरिस्ट स्पॉट बनने की राह पर है। हालांकि इसकी देखरेख और संरक्षण की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन इंदौर नगर निगम और पुरातत्व विभाग समय-समय पर इसे सहेजने की कोशिश कर रहे हैं। युवाओं के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है, खासकर उन लोगों में जो इतिहास और रहस्य से जुड़े स्थानों में दिलचस्पी रखते हैं।





