International Day of Happiness पर जानें 98% लोग क्यों रहते है बेवजह दुखी, खुश रहने का सीक्रेट जो सिर्फ 2% लोग अपनाते हैं

International Happiness Day पर जानिए खुश रहने का आसान फॉर्मूला, जो आपकी लाइफ बदल सकता है, ये छोटे-छोटे बदलाव आपको टेंशन फ्री और हमेशा खुश रहने में मदद करेंगे। तो चलिए, इस मौके पर खुशियां बांटें और अपनी जिंदगी को और भी खुशनुमा बनाएं।

Bhawna Choubey
Published on -

पूरी दुनिया में 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय ख़ुशी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि ख़ुश रहना जीवन में कितना ज़रूरी है, ख़ुशी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। यह दिन ख़ुशी के महत्व को समझाने और लोगों को मानसिक शांति और संतुष्टि की ओर प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है। अगर साधारण भाषा में कहा जाए तो इस दिन लोगों की मेंटल हेल्थ और ख़ुशी को प्राथमिकता देने पर ज़ोर दिया जाता है।

लेकिन सवाल यह उठता है कि आज के समय में बहुत सारे लोग बेवजह दुखी क्यों रहते हैं? चौंकाने वाली बात यह है कि दुनिया में सिर्फ़ 2% लोग ही असल में ख़ुश रहते हैं। लेकिन लोगों का दुखी रहने का कारण क्या है, क्यों सब कुछ होने के बावजूद भी और सब कुछ पाने के बावजूद भी लोग दुखी क्यों रहते हैं? आयी इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझते हैं कि आख़िर लोग बेवजह दुखी क्यों रहते हैं।

International Happiness Day क्यों मनाया जाता है?

12 जुलाई 2012 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक ऐसा फ़ैसला लिया जो दुनिया भर के लोगों के लिए ख़ुशी का संदेश लेकर आया। दरअसल, उन्होंने 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय ख़ुशी दिवस के रूप में घोषित किया। इस दिन को मनाने का मक़सद था दुनिया भर की लोगों के जीवन में खुशियों और कल्याण को एक सार्वभौमिक लक्ष्य के रूप में मान्यता देना, मतलब ख़ुशी सिर्फ़ एक एहसास नहीं बल्कि एक ज़रूरत है जो हर किसी के जीवन का हिस्सा होना ही चाहिए।

बेवजह दुखी रहने के कारण

दूसरों से तुलना करना

यह हर इंसान की फ़ितरत होती है, वह हमेशा अपनी ज़िंदगी को दूसरे लोगों की ज़िंदगी से तुलना करता रहता है। फिर चाहे करियर हो, लव लाइफ़ हो, परिवार हो, नौकरी हो, या फिर कुछ भी क्यों ना हो। आजकल सोशल मीडिया पर दूसरों की चमकती हुई ज़िंदगी को देखकर सभी को ऐसा लगता है कि बस उसकी ज़िंदगी में कोई ख़ुशी नहीं है बाक़ी सभी लोग अपने जीवन में बेहद ख़ुश हैं, ये तुलना अंदर ही अंदर व्यक्ति को खोखला बना देती है और बेवजह के दुख में डाल देती है।

पैसों और चीज़ों के पीछे भागना

लोगों की सबसे बड़ी गलती यह होती है कि वे अपनी ख़ुशी को पैसे, गाड़ी और महंगे सामान से जोड़ लेते हैं। उन्हें लगता है कि जिस भी व्यक्ति के पास ज़्यादा पैसे होते हैं, बड़ी बड़ी गाड़ियां होती है, और महंगे महंगे सामान होते हैं वही व्यक्ति ख़ुश होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। ये ख़ुशी और सुख सिर्फ़ कुछ पल का होता है। कभी भी चीज़ें आपको ख़ुश नहीं कर सकती है, इसलिए पैसों और चीज़ों के पीछे भागना बंद करें।

पुरानी गलती और भविष्य की चिंता

कई बार लोग वर्तमान में पुरानी गलतियों के बारे में सोचते रहते हैं। जो बीत चुका है उसके बारे में सोचने से कोई फ़ायदा नहीं होता है, वहीं कुछ लोगों को भविष्य की चिंता सताती रहती है, इन कारणों की वजह से व्यक्ति वर्तमान में ख़ुश नहीं रह पाता है। ये चिंताएं बेवजह होती है, पुरानी गलतियों के बारे में सोचने की बजाय आगे ऐसी गलतियां न करें ऐसा सोचना चाहिए, और भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए बस कड़ी मेहनत और अच्छे काम करते रहना चाहिए, भविष्य में सब अपने आप अच्छा होता चला जाएगा।

ख़ुद के लिए समय नहीं निकालना

आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, लोग इतना ज़्यादा व्यस्त रहने लगे हैं कि उन्हें ख़ुद के लिए समय मिल ही नहीं पाता है। अपनी भावनाओं को नज़रअंदाज़ करना, अपनी पसंद को नज़रअंदाज़ करना, पूरे समय सिर्फ़ और सिर्फ़ काम के बारे में सोचना, ये आदतें इंसान को पूरी तरह खोखला बना देती है। ख़ुश रहने के लिए ख़ुद के लिए समय निकालना बहुत ज़रूरी होता है।

 


About Author
Bhawna Choubey

Bhawna Choubey

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

Other Latest News