लोहे के बर्तन में न पकाएं ये चीजें, शरीर को इस तरह हो सकता है नुकसान

दूध, पनीर और अन्य डेयरी उत्पादों को लोहे के बर्तन में पकाने से बचना चाहिए। लोहे के बर्तन में पकाने से दूध फट सकता है और उसका स्वाद खराब हो सकता है। हालांकि लोहे के बर्तन में दालों को पकाना बेहद फायदेमंद बताया जाता है।

Gaurav Sharma
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भारतीय रसोई में लोहे के बर्तनों का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। ये बर्तन भोजन को जल्दी गर्म करने और उसमें आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थों को लोहे के बर्तन में पकाने से सेहत पर निगेटिव प्रभाव पड़ सकता है। यदि आप इन चीजों को लोहे के बर्तन में पकाते हैं, तो इससे न केवल भोजन का स्वाद बिगड़ सकता है, बल्कि यह आपके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है। आइए जानते हैं वे कौन-सी चीजें हैं जिन्हें लोहे के बर्तन में पकाने से बचना चाहिए।

खट्टी चीजें  

टमाटर, इमली, नींबू, दही और अन्य खट्टी चीजों में एसिड की मात्रा अधिक होती है। जब इन्हें लोहे के बर्तन में पकाया जाता है, तो ये बर्तन की सतह के साथ रिएक्शन करके उसमें से आयरन निकाल सकते हैं। इससे न केवल भोजन का रंग और स्वाद बदल सकता है। बल्कि ज्यादा आयरन शरीर में जाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे इनडाइजेशन और पेट दर्द।

दूध और डेयरी उत्पाद

दूध, पनीर और अन्य डेयरी उत्पादों को लोहे के बर्तन में पकाने से बचना चाहिए। लोहे के बर्तन में पकाने से दूध फट सकता है और उसका स्वाद खराब हो सकता है। इसके अलावा, आयरन और कैल्शियम एक-दूसरे के एब्जॉर्प्शन में बाधा डालते हैं, जिससे शरीर को इन पोषक तत्वों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।

हरी पत्तेदार सब्जियां  

पालक, मेथी और सरसों जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां आयरन से भरपूर होती हैं, लेकिन इन्हें लोहे के बर्तन में पकाने से उनकी पौष्टिकता कम हो सकती है। अधिक मात्रा में आयरन निकलने से भोजन का स्वाद कसैला हो सकता है और कुछ लोगों को गैस या एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

ज्यादा नमकीन चीजें  

अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थ लोहे के बर्तन के साथ क्रिया कर सकते हैं, जिससे बर्तन जल्दी खराब हो सकता है और भोजन में मेटल का स्वाद आ सकता है. इससे भोजन की क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है।

डिस्क्लेमर: (यहां दी गई जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है। निवेश करने से पहले हमेशा विशेषज्ञों की सलाह लें। हम एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ पर दी गई इस जानकारी की पुष्टि नहीं करते है)


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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