बारिश का पानी पीने लायक हो सकता है, लेकिन इसके लिए इसे फिल्टर और डिसइंफेक्ट करना जरूरी है। कई देशों में यह प्राथमिक पेयजल स्रोत है, लेकिन भारत में वायु प्रदूषण और औद्योगिक उत्सर्जन के कारण यह जोखिमभरा हो सकता है। सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियां इसे सुरक्षित बनाने के लिए गाइडलाइंस जारी करती हैं।
बारिश का पानी प्राकृतिक रूप से शुद्ध होता है, लेकिन हवा में मौजूद प्रदूषकों के कारण इसमें बैक्टीरिया, केमिकल्स, और परजीवियों की संभावना रहती है। उदाहरण के लिए, दिल्ली जैसे शहरों में, जहां AQI अक्सर ‘खराब’ स्तर पर रहता है, बारिश का पानी पीने से पहले इसे सावधानी से ट्रीट करना चाहिए। CDC और WHO के अनुसार, इसे बोतलबंद या टैप वाटर के साथ मिक्स न करें, क्योंकि इससे सुरक्षित पानी भी दूषित हो सकता है।
बारिश के पानी को इस तरीके से पिने लायक बनाया जा सकता है
बारिश का पानी पीने लायक बनाने के लिए इसे फिल्टर और डिसइंफेक्ट करना जरूरी है। CDC के मुताबिक, इसमें मौजूद जर्म्स और केमिकल्स स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में, जहां वायु प्रदूषण कम है, बारिश का पानी सीधे इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन महानगरों में, जैसे मुंबई, इसे आरओ सिस्टम से पास करना चाहिए। पहला फ्लश डिवाइस का इस्तेमाल, जो शुरुआती दूषित पानी को अलग करता है, इसे सुरक्षित बनाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, UV ट्रीटमेंट और बायोफिल्टरेशन तकनीकें भी प्रभावी हैं।
स्वास्थ्य और पर्यावरणीय फायदे
बारिश का पानी पीने से स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जैसे अल्कलाइन pH जो पाचन में मदद करता है और फ्री रेडिकल्स को कम करता है। पर्यावरण की दृष्टि से, इसका इस्तेमाल ग्राउंडवॉटर को बचाने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, चेन्नई में, जहां वाटर टेबल कम हो रही है, बारिश के पानी को स्टोर करके इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इसके फायदे तभी हैं, जब इसे सही तरीके से कलेक्ट और ट्रीट किया जाए। उदाहरण के लिए, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम्स को नियमित रूप से साफ करना चाहिए, ताकि इसमें जमा गंदगी और परजीवी न रहें।





