प्रसिद्ध कथाकार और आध्यात्मिक प्रवक्ता जया किशोरी के विचार न केवल हमारे मन को शांति प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन को सही तरीक़े से जीने में मदद करते हैं। सोशल मीडिया पर जया किशोरी के विचारों का वीडियो वायरल होता रहता है, न सिर्फ़ बड़े लोग बल्कि बच्चे भी उनकी बातों को सुनना बहुत पसंद करते हैं। जया किशोरी की शिक्षाएं सरल, और जीवन के हर पहलू को छूने वाली होती है।
हाल ही में उनका एक कथन काफ़ी चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें जया किशोरी यह कहते हुए नज़र आ रही है कि दूसरों की गलतियों निकालना आसान है लेकिन अपनी गलतियाँ पहचानना बहुत कठिन। हम सभी के जीवन में ऐसे पल आते हैं जब हम दूसरों की गलतियों को तुरंत पकड़ लेते हैं लेकिन जब बात अपनी गलती और कमियों को स्वीकार करने की आती है तो हम मुँह चुराने लगते हैं। यह मानव स्वभाव का एक सामान्य नहीं है, जया किशोरी ने इस बात को लेकर अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने इसके पीछे कई कारण बताए हैं जिन्हें हम एक एक कर समझेंगे।

जया किशोरी की जीवन बदलने वाली सीख (Jaya Kishori Quotes)
पहला कारण
जया किशोरी कहती है, कि हमें हमारा अहंकार हमारी ख़ुद की गलती और कमियों को स्वीकार करने नहीं देता है। अहंकार की वजह से हम ख़ुद को हमेशा दूसरों से बेहतर समझने लगते हैं। और यही सोच हमारी कमियों और गलतियों को छुपा देती है।
दूसरा कारण
हम ख़ुद को सही साबित करने के लिए इतने ज़्यादा पागल हो जाते हैं कि फिर चाहे हमारी कितनी भी बड़ी गलती क्यों न हों हम उसे सही साबित करने के लिए अड़े रहते हैं। हम अपनी गलतियों को छुपाने और ख़ुद को सही साबित करने के लिए एक नहीं बल्कि अनेक झूठ बोल देते हैं। हम ख़ुद को साबित कर लोगों की नज़रों में महान बनने की कोशिश करते हैं।
तीसरा कारण
हमें अपनी गलतियों और कमियों को स्वीकारने में डर लगता है। हमें लगता है कि अगर लोगों को हमारी गलतियां पता चल गई या फिर उन्हें हमारी कमियों के बारे में पता चल गया तो लोग हमारा मज़ाक उड़ाएंगे और हमें कमज़ोर समझा जाएगा। आलोचना का डर ही हमें ख़ुद की कमी है और गलतियों को स्वीकारने नहीं देता है।
जया किशोरी कहती है कि यदि हम अपनी गलतियों को पहचान कर उन्हें सुधारने की आदत डालें, देखते ही देखते है हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। जया किशोरी ने बताया है कि हम किस तरह से ख़ुद की गलतियों को स्वीकार सकते हैं।
पहला तरीक़ा
रोज़ाना ख़ुद से यह सवाल पूछें, क्या आज आपने किसी के साथ ग़लत व्यवहार किया? क्या आपने किसी धोखा दिया? क्या आज आपने अपना काम इमानदारी से किया? यह सवाल ख़ुद को परखने का बहुत अच्छा तरीक़ा है। जब हम इन सवालों का जवाब देते हैं तो हम अपने आप से झूठ कह सकता, इन सवालों के जवाब से हम यह समझ सकते हैं कि हमने क्या सही किया और क्या ग़लत।
दूसरा तरीक़ा
आलोचना को स्वीकारना व्यक्ति की सबसे बड़ी ताक़त होती है। जो व्यक्ति अपनी आलोचना को स्वीकार सकता है, उससे ज़्यादा प्रभावशाली व्यक्ति कोई नहीं हो सकता। अक्सर हम आलोचना को दूसरे व्यक्ति की तरफ़ से एक हमला समझ लेते हैं, लेकिन हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए हमें अपनी आलोचना को सकारात्मक रूप दे देना चाहिए। अपनी आलोचनाओं को नकारने की बजाय स्वीकार करें, और गहराई से इस विषय में सोचें।
तीसरा तरीक़ा
अपनी गलतियों और कमियों को छिपाने की बजाय उन्हें सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। अपनी कमियों को पहचानें और उन्हें बेहतर बनाने का प्रयास करें। आप ख़ुद को अचानक से बेहतर नहीं बना सकते हैं, लेकिन आप ख़ुद को बेहतर बनाने की शुरुआत कर सकते हैं । छोटे छोटे बदलावों से शुरुआत करें, धीरे धीरे आपका व्यक्तित्व निखर जाएगा।