प्रवचनकारा और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी (Jaya Kishori) ने एक बार फिर समाज को आईना दिखाया है। उन्होंने कहा कि इंसान जब किसी से मिलता है, तो सबसे पहले उसकी शक्ल-सूरत या शरीर पर टिप्पणी करता है, “अरे, तुम तो मोटे हो गए”, “चेहरा कितना मुरझा गया है”, “पिंपल्स आ गए हैं” जैसी बातें आम हो गई हैं।
जया किशोरी ने सवाल उठाया कि क्या जिन्हें आप ये सब कह रहे हैं, वो लोग आईना नहीं देखते? क्या उन्हें खुद की हालत का एहसास नहीं है? उन्होंने कहा कि जब हम मिलते हैं, तो हमें प्रशंसा की मुस्कान देनी चाहिए, ताकि सामने वाला व्यक्ति खुद को और बेहतर महसूस कर सके।

जया किशोरी का सकारात्मक सोच पर ज़ोर
1. क्यों आलोचना बन जाती है रिश्तों की दूरी की वजह?
जया किशोरी ने बताया कि बार-बार किसी की शक्ल-सूरत या वजन पर टिप्पणी करना धीरे-धीरे रिश्तों में खटास भर देता है। इससे सामने वाला खुद को नीचा महसूस करता है। कई बार यह बातें अवसाद और आत्मविश्वास की कमी का कारण बन जाती हैं। जया किशोरी ने कहा, “हर कोई अपना चेहरा कांच में देखता है, उसे उसकी कमियाँ बताने की ज़रूरत नहीं।” इसलिए अगर आप किसी से वाकई जुड़े हैं, तो उन्हें प्रोत्साहन दें, आलोचना नहीं।
2. सराहना की ताकत
किशोरी जी ने कहा कि हर व्यक्ति को जब तारीफ मिलती है, तो उसका आत्मबल बढ़ता है। एक प्यारा सा कॉम्प्लिमेंट, “तुम आज बहुत अच्छे लग रहे हो”, “तुम्हारी मुस्कान बहुत प्यारी है” किसी का दिन बना सकता है। सकारात्मक शब्द न सिर्फ दूसरों को खुशी देते हैं, बल्कि खुद के भीतर भी ऊर्जा भरते हैं। इसलिए समाज में अगर बदलाव लाना है, तो शुरुआत सराहना और प्रेम की भाषा से होनी चाहिए।
3. आलोचना का मोह छोड़ें
जया किशोरी का कहना है कि आलोचना करना बहुत आसान है, लेकिन किसी को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाना ही असली इंसानियत है। उन्होंने कहा, “कभी सोचा है, सामने वाला आपके शब्दों को लेकर क्या महसूस करता होगा?” समाज को जरूरत है ऐसे लोगों की जो दूसरों की अच्छाइयों को देखें, उन्हें उभारें। अगर हर मुलाकात एक मुस्कान और सकारात्मक शब्दों से भरी हो, तो रिश्ते भी मजबूत बनते हैं और समाज भी सुंदर बनता है।