जया किशोरी ने बताया कैसे मां-बाप पहचान लेते हैं बच्चों के धोखेबाज दोस्त, खोला ये राज

जया किशोरी ने एक वीडियो में बताया कि मां-बाप अपने बच्चों के धोखेबाज और गलत दोस्तों को बिना बताए कैसे पहचान लेते हैं। उन्होंने इस आदत का ज़िक्र किया जो हर बच्चे में दिखती है, जब वह गलत संगति में फंस जाता है। जानिए वो खास संकेत जो हर माता-पिता को जानना चाहिए।

अक्सर बच्चे सोचते हैं कि उनके दोस्त कौन हैं, ये मां-बाप को कैसे पता चलेगा। लेकिन माता-पिता की नज़र बहुत तेज़ होती है। हाल ही में जया किशोरी (Jaya Kishori) का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह से माता-पिता बिना कुछ कहे ही समझ जाते हैं कि उनका बच्चा गलत संगति में फंस गया है।

जया किशोरी ने अपने वीडियो में बताया कि जब भी कोई बच्चा घर पर चिड़चिड़ा होने लगे, बात-बात पर गुस्सा दिखाए और उसके व्यवहार में बदलाव आने लगे, तो समझ लीजिए कुछ गड़बड़ है। उन्होंने कहा कि ऐसा तब होता है जब बच्चे गलत दोस्तों के साथ उठते-बैठते हैं। उनका स्वभाव, भाषा और सोच पर इसका सीधा असर पड़ता है।

गलत संगति के लक्षण

जब बच्चा नेगेटिव सोच रखने लगे, परिवार से दूरी बना ले और पहले जैसा व्यवहार ना करे, तो ये साफ संकेत होते हैं कि वह किसी गलत संगति में है। ऐसे बच्चों को अक्सर अपने अच्छे और सच्चे दोस्तों से दूर कर दिया जाता है और वे दिखावे वाले, स्वार्थी लोगों की ओर खिंचते हैं। माता-पिता अगर इन बदलावों को नजरअंदाज करें तो बात बिगड़ सकती है।

बच्चों के बर्ताव में आने वाला अचानक गुस्सा, छुप-छुप कर बात करना, फोन छिपाना, या ज़्यादा अकेले रहना, ये सब चीजें एक चेतावनी की तरह हैं। जया किशोरी ने समझाया कि हर माता-पिता को अपने बच्चे की छोटी-छोटी हरकतों पर ध्यान देना चाहिए।

माता-पिता की भूमिका और सही संगति की पहचान

जया किशोरी के मुताबिक, मां-बाप बच्चों को डांटने या रोकने की बजाय पहले उनके व्यवहार को समझें। अगर बच्चा गलत संगति में है, तो उसे प्यार से समझाकर सही राह दिखाएं। जब कोई बच्चा अच्छे लोगों के संपर्क में आता है, तो उसकी सोच पॉज़िटिव हो जाती है, भाषा शालीन होती है और उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

साथ ही जया किशोरी का यह भी कहना है कि माता-पिता को अपने बच्चों के दोस्तों से मिलना चाहिए और बातचीत करके ये जानने की कोशिश करनी चाहिए कि उनका असर बच्चें पर कैसा है। यही एक तरीका है जिससे बच्चों को बुरी संगति से बचाया जा सकता है।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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