खुद से प्यार नहीं करोगे, तो कोई और कैसे कर पायेगा – पढ़ें जया किशोरी का दिल छू लेने वाला संदेश

Jaya Kishori: मोटिवेशनल स्पीकर और भजन गायिका जया किशोरी के विचार लाखों युवाओं को खुद से जुड़ना सिखाते हैं। उनका यह खास संदेश, "दूसरों की राय लेने से पहले खुद से पूछो, क्या मुझे मैं पसंद हूं?" आज की पीढ़ी के लिए बेहद जरूरी है। जानिए उनके कोट्स और उससे जुड़ी जीवन की गहराई।

आज की तेज रफ़्तार उलझनों से भरी ज़िंदगी में लोगों को मायूस हो जाते हैं। कभी करियर की चिंता, तो कभी रिश्तों की उलझन ऐसे में दिल और दिमाग़ दोनों थकने लगता है। इस तनाव भरे माहौल में अगर कोई सूची सीधी और दिल को छूने वाली बात करता है, तो दिल को थोड़ा सुकून मिलता है। मोटिवेशनल स्पीकर और कथावाचक जया किशोरी (Jaya Kishori) भी ऐसी ही बातें कहती है, जुड़ लाखों लोगों की सोच को नई दिशा देती है।

हाल ही में सुस्ती मीडिया पर उनका एक कथन ख़ूब वायरल हो रहा है। जिसके बारे में आज हम आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताएंगे। जया किशोरी की बातें, न सिर्फ़ बड़े बल्कि युवा पीढ़ी और बच्चों को भी सही मार्गदर्शन देते हैं, यही कारण है कि सोशल मीडिया पर भी उन्हें काफ़ी लोग फ़ॉलो करते हैं, यूट्यूब पर भी उनकी वीडियोस पर ख़ूब सारे लाइक और कॉमेंट शेयर किए जाते हैं।

खुद से सवाल पूछो , क्या मुझे मैं पसंद हूं?

जया किशोरी ने अपने हालिया विचारों में एक अहम बात कही, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, “दूसरों से पूछने से पहले खुद से पूछो, क्या मुझे मैं पसंद हूं?” यह बात बहुत साधारण लग सकती है, लेकिन इसमें गहरी सीख छिपी है। आज हम अपने हर फैसले से पहले दूसरों की राय लेते हैं, लेकिन कभी खुद से नहीं पूछते कि हमें क्या पसंद है, क्या हम खुद को लेकर खुश हैं। जया किशोरी का यह कोट आत्मचिंतन और आत्म-प्रेम की ताकत को बखूबी समझाता है।

सेल्फ लव पर जया किशोरी के विचार

जया किशोरी कई बार अपने भाषणों में सेल्फ लव यानी खुद से प्रेम करने की बात कहती हैं। उनका मानना है कि जब तक आप खुद से खुश नहीं होंगे, तब तक दुनिया की कोई राय आपकी आत्मा को सुकून नहीं दे सकती। खुद को समझना, अपनी गलतियों को स्वीकार करना और उन्हें सुधारने की कोशिश करना, यही आत्म-प्रेम की असली पहचान है। जया किशोरी कहती हैं कि लोग आपको तब ही स्वीकारते हैं, जब आप खुद को स्वीकार करते हैं। उनकी यह सोच खासकर युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक है, जो सोशल मीडिया के दौर में दूसरों की नजरों से खुद को देखना सीख चुके हैं।

मेन्टल हेल्थ से जुड़ा गहरा संदेश

जया किशोरी का यह संदेश सिर्फ मोटिवेशन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है। आज की दौड़ती-भागती ज़िंदगी में लोग अपने आप को ही भूल जाते हैं। दूसरों को खुश करने के चक्कर में खुद को नजरअंदाज कर देते हैं। यही वजह है कि चिंता, अवसाद और खुद पर शक जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। जया किशोरी का यह विचार हमें रोककर सोचने को मजबूर करता है, क्या मैं खुद को पसंद करता हूं? अगर नहीं, तो इस दिशा में काम करने की सबसे बड़ी जरूरत है।

जया किशोरी की सोच क्यों है आज के दौर में जरूरी

जया किशोरी के विचार इसीलिए प्रासंगिक हैं क्योंकि वे आज के युवाओं की समस्या को समझते हुए सरल भाषा में समाधान देती हैं। उनका फोकस आत्मविश्वास, आत्ममूल्य और आत्म-स्वीकृति पर रहता है। उन्होंने ये भी कहा है कि किसी की राय आपके आत्मसम्मान से बड़ी नहीं हो सकती। इसलिए दूसरों की सोच पर खुद को मत तौलिए। पहले खुद को समझिए, अपनाइए और फिर दुनिया की ओर देखें। यही जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाता है।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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