आज के दौर में एक बड़ा सवाल ये उठता है कि अच्छे घरों, पढ़े-लिखे लोगों के बीच भी अमानवीय घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं? एक सवाल जिसने लाखों लोगों को झकझोर कर रख दिया है। जया किशोरी (Jaya Kishori) से जब यही सवाल किसी ने पूछा, तो उन्होंने बिना किसी बनावट के सटीक और गहराई भरा जवाब दिया।
इस जवाब का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जहां वो साफ-साफ कहती हैं कि पढ़ाई ज़रूरी है, लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है इंसानियत और संस्कार। उनका ये विचार आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बेहद प्रासंगिक लगता है, जहां ज्ञान तो बढ़ रहा है, लेकिन समझ और संवेदनाएं कम होती जा रही हैं।
शिक्षा से पहले क्यों ज़रूरी हैं जीवन के संस्कार?
जया किशोरी कहती हैं कि आज शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबी ज्ञान और डिग्रियों तक सीमित रह गया है। लेकिन असली जीवन में सफल वही होता है जिसमें इंसानियत, सहानुभूति और नैतिकता हो। उनका मानना है कि अगर सिर्फ पढ़ाई से ही सब कुछ होता, तो इतनी शिक्षित दुनिया में इतनी नफरत, हिंसा और धोखा क्यों होता?
दिमाग तेज़, लेकिन दिल संवेदनहीन?
बढ़ती क्राइम स्टोरीज़, घरेलू हिंसा, धोखाधड़ी और बेरुखी के मामले इस बात का सबूत हैं कि आज के समाज में दिल से ज्यादा दिमाग काम कर रहा है। जया किशोरी इस मुद्दे पर कहती हैं कि शिक्षा से लोग समझदार तो बन रहे हैं, लेकिन अगर वो समझ रिश्तों और भावनाओं की कद्र नहीं सिखा रही, तो वो अधूरी है।
घर से शुरू होता है असली ‘शिक्षण’
जया किशोरी बार-बार इस बात पर ज़ोर देती हैं कि बच्चों को सिर्फ स्कूल भेजकर काम पूरा नहीं हो जाता। असली सीख तो घर से शुरू होती है, बड़ों का आदर, छोटों से प्यार, सच बोलना, ग़लती मानना, मदद करना। ये बातें किताबों में नहीं, बल्कि मां-बाप के व्यवहार में दिखती हैं। संस्कार वहीं से मिलते हैं।





