सफलता और नकारात्मक सोच एक साथ नहीं चल सकते, जानिए Jaya Kishori ने ऐसा क्यों कहा

जया किशोरी के मुताबिक, अगर जीवन में आगे बढ़ना है तो नकारात्मक सोच को तुरंत अलविदा कहना होगा। सफलता और निगेटिविटी साथ नहीं चल सकते, यह सोच हर युवा और प्रोफेशनल को अंदर से बदल सकती है।

जया किशोरी (Jaya Kishori) सिर्फ एक मोटिवेशनल स्पीकर नहीं, बल्कि उन लोगों की प्रेरणा हैं जो अपने जीवन में कुछ बेहतर करना चाहते हैं। उनका हर एक कथन सच्चाई की जमीन से जुड़ा होता है और जीवन के संघर्षों से निकलने का मार्ग दिखाता है।

हाल ही में जया किशोरी ने एक इंटरव्यू में कहा कि “सफलता और नकारात्मक सोच कभी एक साथ नहीं चल सकते”, और इस एक वाक्य ने सोशल मीडिया पर भी गहरी चर्चा छेड़ दी। आइए समझते हैं कि इस एक विचार में कितनी ताकत है।

सफलता और नकारात्मक सोच क्यों नहीं चल सकते साथ

जया किशोरी मानती हैं कि इंसान की सोच ही उसके जीवन का सबसे बड़ा हथियार होती है। अगर सोच सकारात्मक हो, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनने लगते हैं। लेकिन अगर मन में हमेशा डर, असफलता और तुलना भरी हो, तो आप चाहकर भी आगे नहीं बढ़ सकते।

उनका कहना है कि जैसे अंधेरे में रोशनी नहीं रह सकती, वैसे ही नकारात्मक सोच वाले इंसान को सफलता कभी गले नहीं लगाती। जब हम खुद पर भरोसा नहीं करते, तो दुनिया भी हमें गंभीरता से नहीं लेती।

जया किशोरी के अनुसार, “आपका मन जिस दिशा में जाता है, आपकी ज़िंदगी भी उसी तरफ जाती है। इसलिए सोच को साफ और सकारात्मक बनाना ही पहली सीढ़ी है सफलता की तरफ।”

कैसे छोड़ी जाए निगेटिव सोच? 

जया किशोरी केवल आदर्श की बात नहीं करतीं, वे व्यवहारिक उपाय भी बताती हैं। उनका मानना है कि निगेटिव सोच को खत्म करने के लिए सबसे पहले अपने अंदर झांकना जरूरी है।

  • सुबह उठते ही आभार प्रकट करें, जिससे दिन की शुरुआत पॉजिटिव हो।
  • सोशल मीडिया पर खुद की तुलना करना छोड़ें।
  • खुद से बात करें, खुद को समझें और अपनी गलती को स्वीकार कर सुधारें।
  • ऐसे लोगों से जुड़ें जो पॉजिटिव सोच रखते हों।
  • उनका एक और चर्चित कथन है, “आप क्या सोचते हैं, वही आपके जीवन की दिशा तय करता है।” यानी, सोच बदलोगे तो परिणाम भी बदलेंगे।

नकारात्मक सोच से जूझ रही पीढ़ी को है दिशा की जरूरत

आज की तेज़ दौड़ती ज़िंदगी में, जब हर कोई परफेक्ट दिखना चाहता है, वहां नकारात्मकता बड़ी तेजी से लोगों को घेर रही है। कॉम्पिटिशन, सोशल मीडिया, असफलता का डर ये सब मिलकर आत्मविश्वास को अंदर से कमजोर कर देते हैं।

जया किशोरी का यह मैसेज खासतौर पर युवा पीढ़ी के लिए एक चेतावनी और उम्मीद दोनों है। वे याद दिलाती हैं कि जीवन का असली संघर्ष बाहर नहीं, अंदर होता है। अगर आप अपनी सोच को सकारात्मक बना लें, तो कोई भी चुनौती आपके आगे बड़ी नहीं लगती।

 


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Bhawna Choubey

Bhawna Choubey

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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