क्या आपने कभी ठहरकर ये सोचा है कि हम अपनी जिंदगी में सबसे ज़्यादा वक्त किसे देते हैं? उन लोगों को जो हमें छोड़कर जा चुके हैं, या फिर उन रिश्तों को जो आज हमारे साथ हैं? सोशल मीडिया पर अक्सर हम बीते लम्हों में खोए रहते हैं, गुज़रे रिश्तों को याद करते हैं, लेकिन क्या हम उन लोगों को पूरी अहमियत दे पा रहे हैं जो आज हमारे आसपास मौजूद हैं?
जानी-मानी मोटिवेशनल स्पीकर और भजन गायिका जया किशोरी ने हाल ही में एक इमोशनल वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने इसी गहरे सवाल को उठाया। उनके शब्द सीधे दिल तक पहुंचते हैं और हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि कहीं हम अपनी ज़िंदगी के सबसे क़ीमती रिश्तों को नज़रअंदाज़ तो नहीं कर रहे? उनका यह संदेश हमें रिश्तों की अहमियत और वर्तमान की कद्र करना सिखाता है।
रिश्तों की कीमत तब समझ आती है, जब वो साथ नहीं रहते
जया किशोरी अक्सर अपने प्रवचनों और वीडियोज़ में जिंदगी की सच्चाइयों पर बात करती हैं। इस बार उन्होंने रिश्तों की अनदेखी को लेकर एक भावुक संदेश साझा किया है। उन्होंने कहा, “हम उन लोगों के लिए रोते हैं जो हमें छोड़कर चले गए, लेकिन जो हमारे पास हैं, उनका कितना ध्यान रखते हैं?”
ये सवाल सीधे हमारे दिल में उतर जाता है। आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में हम अपनों को वक्त नहीं दे पाते, और जब वो दूर हो जाते हैं, तब पछताते हैं। जया किशोरी का यह मैसेज हमें यही याद दिलाता है कि रिश्तों की देखभाल उसी वक्त जरूरी होती है, जब वो हमारे साथ हों।
जया किशोरी के इस संदेश से मिल रहा है बड़ा सबक
आज सोशल मीडिया पर जया किशोरी का यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है। उनके फॉलोअर्स इसे खूब शेयर कर रहे हैं और रिश्तों की अहमियत को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कई लोगों ने लिखा, “काश ये बात पहले समझ आती,” तो कुछ ने कहा, “अब से हर उस रिश्ते की कद्र करूंगा जो मेरे साथ है।”
इसका मतलब साफ है, जया किशोरी का ये मैसेज सिर्फ एक प्रेरणादायक कोट नहीं है, बल्कि यह हमें आत्ममंथन का मौका भी देता है। क्या हम अपने माता-पिता, भाई-बहनों, दोस्तों को वाकई वह अहमियत दे रहे हैं, जिसके वो हकदार हैं?
रिश्तों को संभालने का वक्त अब है, कल नहीं
रिश्ते तभी मजबूत बनते हैं जब उनमें समय, ध्यान और सच्चा प्यार दिया जाए। जया किशोरी कहती हैं, “रिश्तों को कभी टालिए मत, उन्हें आज ही निभाइए। कल का भरोसा किसी को नहीं।”
यह बात इस समय और भी ज्यादा मायने रखती है जब हम सब डिजिटल दुनिया में खोए हुए हैं। एक मैसेज या कॉल भी किसी अपने के लिए बहुत कुछ बदल सकता है। इसलिए अब वक्त आ गया है कि हम सिर्फ ‘रहते हैं साथ’ न कहें, बल्कि ‘महसूस करें साथ’ भी।





