सिर्फ गंगा नहाने से नहीं धुलते पाप, असली सफाई तो कर्मों से होती है, जानें ऐसा क्यों कहती हैं जया किशोरी

समाज में रह रहे लोगों की सभी की मानसिकता यह है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से उनके द्वारा किए गए सभी पाप और ग़लत काम धुल जाएंगें। लेकिन जया किशोरी का इस मामले में कुछ और ही कहना है, चलिए जानते हैं कि जया किशोरी इस विषय में क्या कहती है।

Bhawna Choubey
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जिया किशोरी को कौन नहीं जानता, बड़ों से लेकर बच्चे तक उन्हें अच्छे से जानते हैं उनके विचारों को सुनते भी है। सोशल मीडिया पर भी जया किशोरी के विचार वायरल होते रहते हैं, जिनसे लोग प्रेरित होते हैं। उनके विचार हमेशा लोगों के दिलों में एक नई दिशा और सकारात्मकता का संचार करते हैं।

जया किशोरी जी के विचारों को सुनने के बाद कई लोगों की मन की उलझन सुलझ जाती है। बाद में उठ रही अजीब सवालों के जवाब भी लोगों को बड़े ही सरलता के साथ मिल जाते हैं। आपने कभी न कभी अपनी ज़िंदगी में ऐसा ज़रूर सुना होगा कि पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं। लेकिन क्या ऐसा सच में होता है? चलिए जया किशोरी के विचारों से समझते हैं।

क्या पवित्र नदियों में स्नान से पाप धुल जाते हैं? (Jaya Kishori Quotes)

सनातन धर्मों में पाप और पुण्य का विशेष महत्व होता है। पापों से लोगों को डर लगता है, और पुण्य कमाने के लिए लोग बेहद कोशिश करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पवित्र नदियों जैसे की गंगा यमुना सरस्वती या अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं। इन मान्यताओं का महत्व पवित्र पर्व पर और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। यही कारण है कि जब कभी भी पवित्र अवसर जैसे की अमावस्या या पूर्णिमा तिथि आती है, तो इन नदियों के घाटों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या पवित्र नदियों में स्नान करने से ही व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं। चलिए जानते हैं कि इस विषय में जया किशोर क्या कहती है।

पाप से मुक्ति के लिए सही मार्ग अपनाना है ज़रूरी

जया किशोरी कहती है कि अगर कोई व्यक्ति अनजाने में किसी को कष्ट पहुँचाता है तो उसका पश्चाताप और सुधार संभव होता है। लेकिन अगर कोई जानबूझकर बुरा काम करता है तो सिर्फ़ तीर्थ यात्रा या पूजा पाठ से उसकी गलती या नहीं सुधर सकती। ऐसे लोगों को अपनी गलतियों का सही समाधान ढूंढना पड़ेगा। जय किशोरी का मानना है कि अच्छे कर्मों की ओर बढ़ने से ही हम अपनी गलतियों को सुधार सकते हैं। जया किशोरी का यह संदेश है कि सिर्फ़ धार्मिक कामों से पाप नहीं मिटते हैं बल्कि हमें अपनी सोच और व्यवहार को बदलकर सही रास्ते पर चलना होगा।

पाप धोने के लिए अच्छे कर्म जरूरी हैं, सिर्फ़ स्नान से नहीं

जय किशोरी कहती है कि आज के समय में बहुतों से लोग सोचते हैं कि अगर उन्होंने किसी तरह का पाक किया है तो वे किसी तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान कर लेंगे उनकी सारी पाक ख़त्म हो जाएंगे। लेकिन वे एक ग़लतफ़हमी में रहते हैं। दरअसल यह विचारधारा एक ग़लत धारणा है। क्योंकि पापों को धोना इतना भी आसान नहीं है, सिर्फ़ और सिर्फ़ नदियों में स्नान करने से पाप नहीं मिटते हैं। अगर आपको लग रहा है कि आपने कोई पाप किया है, उसे सुधारने के लिए आपको अच्छे कर्मों की तरफ़ क़दम रखना होगा। अच्छे काम करने होंगे, लोगों के साथ अच्छा व्यवहार रखना होगा, तब जाकर आप अपने पापों को कम कर पाएंगे।

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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