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Thu, Dec 18, 2025

Jyotiba Phule Quotes महात्मा फुले जयंती पर पढ़ें उनके प्रेरणादायक विचार, जो बदल सकते हैं सोचने का नजरिया

Written by:Bhawna Choubey
Published:
Jyotiba Phule Quotes: महात्मा ज्योतिबा फुले सिर्फ एक समाज सुधारक नहीं थे, बल्कि विचारों से बदलाव लाने वाले क्रांतिकारी थे। उनकी बातें आज भी प्रेरणा देती हैं। इस जयंती पर पढ़िए उनके कुछ दमदार विचार जो सोच बदल सकते हैं।
Jyotiba Phule Quotes महात्मा फुले जयंती पर पढ़ें उनके प्रेरणादायक विचार, जो बदल सकते हैं सोचने का नजरिया

महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती हर साल 11 अप्रैल को मनाई जाती है। उनका जन्म महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में हुआ था। बचपन से ही वे एक होशियार लड़के थे, लेकिन पैसों की कमी के चलते उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। बाद में उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू की और शिक्षा की अहमियत को समझा। उन्होंने समाज में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठायी और दलितों, महिलाओं और पिछड़े वर्गों के हक़ के लिए जीवन भर काम किया।

उनका हमेशा से यही मानना था कि अगर समाज को बदलना है तो सबसे पहले सिलसिला का दरवाज़ा सबके लिए खुला होना चाहिए। उन्होंने सत्यशोधक समाज की स्थापना कर समाज के पिछड़े वर्गों को जागरूक करने का काम किया, इसी के चलते उनके विचारों को समझते हैं। जब आप उनके विचारों को पढ़ेंगे तो आपको भी अपने वॉट्सऐप, फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और तमाम सोशल मीडिया ग्रुप पर शेयर करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

ज्योतिबा फुले के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?

आज के छात्र छात्राओं को उनके विचारों से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। इसलिए इस ख़ास मौक़े पर हम उतर आए हैं महात्मा ज्योतिबा फूले के कुछ प्रेरणादायक विचार, जो आपको आगे बढ़ने की ताक़त देंगे और सोच को नई दिशा दिखाएंगे।

ज्योतिबा फुले के कुछ अनमोल विचार क्या हैं?

“अगर तुम एक पुरुष को पढ़ाते हो, तो सिर्फ़ एक इंसान पड़ता है। लेकिन अगर तुम एक स्त्री को पढ़ाते हो तो पूरा परिवार पढ़ा-लिखा बन जाता है।”

“अच्छा काम अगर करना हैं, तो रास्ता भी सही होना चाहिए। ग़लत तरीक़े अपनाकर सही काम नहीं किया जा सकता।”

“शिक्षा सिर्फ़ पुरुषों का ही अधिकार और ज़रूरत नहीं, बल्कि औरतों की भी सबसे ज़रूरी ज़रूरत है।”

“स्वार्थ कई रूपों में हमारे सामने आता है, कभी जात-पात के नाम पर, तो कभी धर्म के नाम पर।”

“जब समाज में अमीरी-ग़रीबी की खाई बढ़ती है, तो सबसे ज़्यादा नुक़सान किसानों को होता है।”

“अगर शिक्षा नहीं मिलती, तो समझ भी खो जाती है। समझ के बिना इंसान नैतिक नहीं बन सकता, और बिना नैतिकता की तरक़्क़ी नहीं हो सकती।”

“केवल ज्ञान होना काफ़ी नहीं है, जब तक उस ज्ञान को कर्म यानी काम में न लाया जाए, और बिना ज्ञान के किया गया काम भी बेकार माना जाता है।”