घर की रसोई सिर्फ खाना बनाने की जगह नहीं, बल्कि पूरे परिवार की सेहत और खुशहाली का केंद्र होती है। वास्तु शास्त्र में किचन को घर का एनर्जी हब माना गया है, जहां सही दिशा, सही रंग और सही डिज़ाइन पॉजिटिव एनर्जी को बढ़ाते हैं।
लेकिन अक्सर लोग किचन की टाइल्स चुनते समय सिर्फ डिज़ाइन और बजट देखते हैं, वास्तु का ध्यान नहीं रखते। नतीजा ये होता है कि रसोई में नेगेटिव वाइब्स बढ़ जाती हैं, खाना बनाने वाले का मूड बिगड़ने लगता है और घर में अनचाही परेशानियां आने लगती हैं। आज हम बता रहे हैं वो 3 टाइल्स डिज़ाइन, जिन्हें किचन में भूलकर भी नहीं लगाना चाहिए।
वास्तु के हिसाब से सही टाइल्स का महत्व
वास्तु एक्सपर्ट्स का मानना है कि रसोई का कलर, डिज़ाइन और लोकेशन घर की पॉजिटिविटी, आर्थिक स्थिति और रिश्तों पर असर डालता है। गलत पैटर्न या रंग वाली टाइल्स रसोई के वास्तु को बिगाड़ सकती हैं और इसका सीधा असर घर की एनर्जी पर पड़ता है।
काले रंग या बहुत डार्क शेड की टाइल्स
किचन में काला, ग्रे या बहुत गहरे रंग की टाइल्स लगाने से नेगेटिव एनर्जी का असर बढ़ सकता है। वास्तु के अनुसार, डार्क कलर्स फायर एलिमेंट को कमजोर करते हैं, जिससे घर में बीमारियां और आर्थिक नुकसान हो सकता है। इसके बजाय हल्के पीले, क्रीम या सफेद टोन वाली टाइल्स चुनें, जो पॉजिटिविटी और रोशनी बढ़ाती हैं।
टूटे-फूटे या क्रैक डिज़ाइन वाली टाइल्स
भले ही क्रैक डिज़ाइन आजकल ट्रेंड में हों, लेकिन वास्तु के हिसाब से ये अशुभ मानी जाती हैं। टूटी या फटी हुई आकृति नकारात्मकता का प्रतीक है और यह घर में कलह और अशांति ला सकती है। अगर आपके किचन में पहले से ऐसी टाइल्स हैं, तो उन्हें रिपेयर या बदलना अच्छा रहेगा।
बहुत ज्यादा पैटर्न और डार्क फ्लोर टाइल्स
किचन का फर्श ज्यादा डार्क या हैवी पैटर्न वाला होने से रसोई छोटी और भारी महसूस होती है। वास्तु कहता है कि हल्के और सिंपल पैटर्न वाली फ्लोर टाइल्स चुनने से रसोई में खुलापन और पॉजिटिव वाइब बनी रहती है। डार्क और भारी डिज़ाइन से मानसिक तनाव और थकान भी बढ़ सकती है।





