क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग?
आमतौर पर डाइटिंग का मतलब होता है कि क्या खाएं क्या न खाएं। इंटरमिटेंट फास्टिंग इससे अलग है। ये कब खाएं और कब न खाएं इस वक्त पर बात करती है। इस फास्टिंग के अनुसार हफ्ते में दो दिन एक वक्त ही खाना खाने से फैट बर्न होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। भारती ने भी इसी फास्टिंग का सहारा लिया। उन्होंने रात में सात बजे के बाद और सुबह 12 बजे तक खाने से दूरी बनाकर रखी। इसी का नतीजा उनकी सेहत पर नजर आ रहा है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे
ये तो आप समझ ही चुके हैं कि इस तरह की डाइटिंग से वजन घटाने में फायदा मिलता है। ये वैज्ञानिक तरीके से प्रूव किया जा चुका है कि रात में पाचन क्रिया सुबह के मुकाबले सुस्त रहती है।ऐसे में रात में एक निश्चित समय के बाद न खाने से वजन और डाइजेशन दोनों पर इसका खासा असर पड़ता है और वजन घटाने में मदद मिलती है।
अच्छी नींद के लिए भी ये फास्टिंग जरूरी है। जल्दी खाने का असर सीधे डाइजेशन पर पड़ता है। खाने और नींद के बीच गैप रहने से डाइजेशन अच्छे से हो जाता है जिसकी वजह से अच्छी नींद आती है और शरीर में भरपूर एनर्जी बनी रहती है।
ये डाइटिंग दिल के लिए भी बेहतर है। वैसे भारतीय खाने में नमक और तेल की मात्रा भी भरपूर होती है और हाई सोडियम डाइट की वजह से बीपी का खतरा भी बना रहता है जिसका सीधा असर दिल पर पड़ता है। अगर आप खाना ज्यादा खा लेते हैं तो देर रात में कैलोरी भी बर्न नहीं कर पाते जिसकी वजह स्ट्रोक की संभावनाएं भी बढ़ती हैं।
गैस की समस्या से भी इस फास्टिंग में राहत मिलती है खाना ठीक से हजम होता है तो गैस या एसिडिटी की परेशानी भी कम होती है जिसके चलते सीने में जलन में भी राहत रहती है। इंटरमिटेंट फास्टिंग से शरीर में भरपूर एनर्जी भी बनी रहती है रात में खाना ढंग से हजम होता है तो सुबह उठ कर हल्का महसूस होता है। पहली मील के बाद शरीर भरपूर एनर्जी महसूस करता है।