आम (Mango) फलों का राजा होता है। जिसकी विभिन्न वैरायटी गर्मी का मौसम आते ही बाजारों में बिकने लगती है। कुछ आमों की कीमत लाखों में होती है, तो कुछ आम ऐसे भी है जो बहुत ही सस्ते दामों में पाए जाते हैं। यह एक ऐसा फल है जिसे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई बड़े ही चाव से खाता है। पूरी दुनिया की बात करें, तो लगभग 1000 से भी अधिक आम की वैराइटीज पाई जाती हैं। शुरुआती दिनों में लोग कच्चे आम की चटनी बनाकर खाते हैं, जो शरीर को लू लगने से भी बचाती है। इसके अलावा, कुछ लोग खट्टे आम से अचार बनाते हैं। भारत में सर्वाधिक आम की खेती होती है। यहां के आम का डिमांड पूरे विश्वभर में है।
यहां लंगड़ा, चौसा, भागलपुरिया, हुस्न आरा, दशहरा आदि आम बहुत ज्यादा बाजारों में बिखते हैं। इनका स्वाद काफी अलग और अनोखा होता है। यह देखने में भी बहुत ही सुंदर होते हैं।

लंगड़ा आम
लंगड़ा आम की बात करें, तो यह उत्तर भारत का प्रसिद्ध आम है। यह खाने में बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होता है। एक लंगड़ा आम खा लेने पर मन तृप्त हो जाता है। यह मीठा और रसीला आम हर किसी का फेवरेट होता है, लेकिन इस आम को खाते वक्त क्या आपने कभी यह सोचा है कि आखिर इस मीठे आम को लंगड़ा क्यों कहा जाता है। आम की हर वैरायटी का नाम अलग-अलग है। कोई अल्फांसो का दीवाना है, तो कोई दशहरी आम खाना पसंद करता है। कुछ लोगों को लंगड़ा आम बहुत ही ज्यादा पसंद होता है। इस नाम को लेकर शेक्सपियर की एक मशहूर कहावत बिल्कुल भी फिट नहीं बैठती, “नाम में क्या रखा है”। दरअसल, उनका मानना था कि यदि गुलाब को किसी और नाम से पुकारा जाए, तब भी वह इतना ही सुंदर महकता, लेकिन यदि आम का नाम लंगड़ा है, तो यह कहावत कहीं ना कहीं अनफिट है।
इतिहास
इस आम का इतिहास करीब 250 साल पुराना है। इसके नामकरण की वजह एक कहानी में बताई गई है, लेकिन इसका कहानी लिखित प्रमाण नहीं मिलता है। दरअसल, इस कहानी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बनारस शहर में एक प्राचीन शिव मंदिर हुआ करता था। उस मंदिर में जो पुजारी थे, उनका एक पैर नहीं था। ऐसे में आसपास के लोग उन्हें लंगड़ा पुजारी का कर पुकारते थे। तभी एक दिन अचानक दिव्य साधु उसे मंदिर में पधारे और मंदिर प्रांगण में उन्होंने 2 आम के पेड़ लगा दिए। साथ ही उन्होंने पुजारी से अभी कहा कि वह इस पेड़ के आम किसी को भी ना दें, लेकिन सालों बाद जब इस पेड़ पर आम आया, तो पुजारी ने इसे चखा जो कि बहुत ही मीठा था। तब पुजारी ने काशी नरेश को उपहार के रूप में आम भेंट किया। इस आम की बहुत ही ज्यादा तारीफ हुई। जब राजा से पूछा गया कि यह कौन सा आम है, तब उन्होंने लंगड़ा पुजारी के नाम पर बोल दिया कि यह लंगड़ा आम है। तब से ही इसे बाजार में लंगड़ा आम के नाम से जाना जाने लगा।
बनारसी आम
यह आम खाने में बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट और रसीला होता है। बनारस में इसकी सबसे ज्यादा बिक्री होती है। यहां से दूसरे शहरों और देश में इसका निर्यात भी होता है। इसकी मिठास सभी आमों से इसे अलग बनाती है। दूर से ही लोग इसके सुगंध से पहचान जाते हैं कि यह लंगड़ा आम है। यह आम कई दिनों तक खराब नहीं होता। एक आम खाने पर आपका मन तृप्त हो जाएगा। अमूमन यह आम हर किसी का फेवरेट होता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)