Lark vs Night Owl : आपको सुबह जल्दी उठना पसंद है या देर तक सोना ? आपके लिए सबसे क्रिएटिव टाइम सुबह का होता है या रात का ? कुल मिलाकर ये कि आप एक लार्क हैं या नाइट आउल। अब आप पूछ सकते हैं कि भला सोने और जागने का किसी पशु पक्षी से क्या संबंध है। तो हम आपको बता दें कि लार्क और नाइट आउल, नींद के पैटर्न के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करने के लिए इस्तेमाल होने वाले दो शब्द हैं।
लार्क (Lark) एक छोटे आकार का songbird पक्षी है जो Aloudidae परिवार से संबंध रखता है। ये पक्षी भोर से पहले गाने के लिए जाने जाते हैं। वही उल्लू के बारे में तो हम सब जानते ही हैं। ये ऐसा पक्षी है जिसे दिन कि अपेक्षा रात में अधिक स्पष्ट दिखाई देता है इसीलिए ये रात में जागता है। इन दो पक्षियों की इन्हीं विशेषताओं के कारण रात और सुबह जागने सोने के पैटर्न को लार्क और नाइट आउल का नाम दिया गया है।
लार्क बनाम नाइट आउट : क्या है अंतर
लार्क और नाइट आउल इंसानों के सोने और जागने के प्राकृतिक पैटर्न पर आधारित दो श्रेणियां हैं, जो उनके क्रोनोटाइप को दर्शाती हैं। क्रोनोटाइप एक व्यक्ति की जैविक घड़ी और सर्कैडियन रिदम को परिभाषित करता है। यह न केवल उनकी दिनचर्या बल्कि उनके स्वास्थ्य और प्रदर्शन पर भी प्रभाव डालता है। सुबह जल्दी उठने या देर तक सोने की आदतें हमारी जैविक घड़ी (सर्कैडियन रिदम) और नींद के पैटर्न पर निर्भर करती हैं। ज्यादातर लोग लार्क और नाइट आउल के बीच होते हैं, जिन्हें “इंटरमीडिएट क्रोनोटाइप” कहा जाता है। उनके सोने और जागने का समय परिस्थितियों के अनुसार बदल सकता है।
“लार्क बनाम नाइट आउल”की अवधारणा के अनुसार जो कुछ लोग स्वाभाविक रूप से सुबह जल्दी उठने में सक्षम होते हैं उन्हें लार्क कहा जाता है। वहीं जो लोग रात में ज्यादा सक्रिय होते हैं और देर तक सोना पसंद करते हैं, उन्हें नाइट आउल कहा गया है। यह अंतर जैविक, पर्यावरणीय और जीवनशैली पर निर्भर करता है। अध्ययनों में यह पाया गया है कि हमारे सोने-जागने के पैटर्न में जीन का भी योगदान होता है। कुछ लोग स्वाभाविक रूप से जल्दी जागने में सक्षम होते हैं, जबकि अन्य को देर रात तक काम करना आसान लगता है। वहीं, देर रात तक स्क्रीन पर समय बिताना और अनियमित शेड्यूल भी “नाइट आउल” व्यवहार को बढ़ावा दे सकते हैं।
लार्क : सुबह जल्दी उठने वाले
लार्क्स” वे लोग हैं, जिन्हें सुबह जल्दी उठना पसंद होता है और जो सुबह के समय सबसे अधिक सक्रिय और सतर्क महसूस करते हैं। इन्हें “सुबह के पक्षी” भी कहा जाता है। ये लोग रात को जल्दी सो जाते हैं (आमतौर पर 9-10 बजे तक)। इन्हें सुबह जल्दी उठने में आसानी होती है और यह उनके प्राकृतिक रिदम के अनुरूप है। इस श्रेणी के लोग सुबह के समय कामकाज या मानसिक कार्यों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। तुलना की जाए तो इनकी नींद की गुणवत्ता अधिक अच्छी होती है, क्योंकि उनके सोने और जागने का समय सर्कैडियन रिदम के अनुकूल रहता है।
नाइट आउल : सुबह देर तक सोने वाले
“नाइट आउल्स” वे लोग हैं, जो रात में अधिक सक्रिय और सतर्क रहते हैं। इन्हें “रात के उल्लू” कहा जाता है। ये लोग रात तक जागना पसंद करते हैं, कभी-कभी आधी रात के बाद सोते हैं। इस श्रेणी के लोगों को सुबह जल्दी उठने में कठिनाई होती है, और वे आमतौर पर दिन में देर से काम शुरू करते हैं। उनकी रचनात्मकता और ध्यान रात के समय चरम पर होता है। लेकिन इनके लिए पारंपरिक 9-5 शेड्यूल के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल हो सकता है। वहीं, नींद की कमी और अनियमितता से स्वास्थ्य पर असर भी पड़ सकता है। “लार्क” और “नाइट आउल” के क्रोनोटाइप पर काफी शोध हुए हैं और उनमें कई रोचक बातें सामने आई हैं।
‘लार्क’ और ‘नाइट आउल’ से जुड़ी रोचक बातें
- लार्क्स औसतन अधिक सोते हैं : शोध में पाया गया है कि “लार्क” यानी सुबह जल्दी उठने वाले लोग “नाइट आउल्स” के मुकाबले औसतन 48 मिनट ज्यादा सोते हैं। इसका कारण यह है कि लार्क्स रात में जल्दी सोते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा आरामदायक नींद मिलती है।
- ज्यादातर लोग बीच में होते हैं : अधिकांश लोगों का क्रोनोटाइप (सोने-जागने का पैटर्न) “लार्क” और “नाइट आउल” के बीच होता है। इन लोगों को किसी भी स्थिति के अनुकूल होने की क्षमता होती है, और वे परिस्थितियों के अनुसार अपने शेड्यूल को बदल सकते हैं। इसे “इंटरमीडिएट” क्रोनोटाइप कहा जाता है।
- क्रोनोटाइप में बदलाव हो सकता है : एक व्यक्ति का क्रोनोटाइप उसके जीवनकाल के दौरान बदल सकता है। उदाहरण के लिए, किशोरावस्था में लोग अधिकतर “नाइट आउल” होते हैं, जबकि बुढ़ापे में उनकी दिनचर्या “लार्क” जैसी बन जाती है। यह बदलाव जैविक घड़ी और हार्मोन के स्तर में परिवर्तनों के कारण होता है।
- मस्तिष्क में कनेक्टिविटी का अंतर : एक अध्ययन के अनुसार, “नाइट आउल्स” के मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी कम पाई जाती है जो ध्यान और चेतना बनाए रखने से संबंधित हैं। इसका असर उनके मानसिक प्रदर्शन और निर्णय क्षमता पर पड़ सकता है।
- सुबह की दिनचर्या का महत्व: कई प्रमुख लोग, जैसे टिम कुक (एप्पल के सीईओ) और माइकल फेल्प्स (तैराक), सुबह जल्दी उठने की आदत को सफलता का एक बड़ा कारण मानते हैं। उनका मानना है कि यह समय ध्यान, योजना और शारीरिक गतिविधियों के लिए आदर्श होता है।