जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। आपने अपने आस पास में या फिर घर में ही कितनी बार सुना होगा कि “मम्मी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।” यह शब्द जब कानों में जाते हैं तो व्यक्ति अंदर तक हिल जाता है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में महिलाओं की उम्र काम होती है। तो क्या उन्हें पता नहीं था कि वह हार्ट की मरीज हैं? या उन्होंने जानबूझ कर इलाज नहीं करवाया?
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दरअसल कई महिलाओं को इसका लक्षण पता ही नहीं चलता। वह रोजमर्रा की जिन्दगी में इतनी उलझी हुई होती हैं कि उन्हें लगता है उनके डेली रूटीन की वजह से दर्द है। जिन महिलाओं को पता भी चल जाता है कि उन्हें समस्या है वह अपने काम को कम नहीं करती और इलाज भी समय से नहीं करवातीं। उन्हें लगता है कि अगर वह बीएड पकड़ लेंगी तो घर कैसे चलेगा। क्योंकि दिल की सर्जरी के बाद ठीक होने में अधिक समय लगता है।
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आमतौर पर महिलाओं को होने वाले हृदय रोग और स्ट्रोक के लक्षणों को भी पुरुषों द्वारा अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है उन्हें लगता है कि यह थकान के कारण है। इसके अलावा, ज्यादातर घरों में, महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दी जाती है। अब बात उठती है कि आखिर महिलाओं के स्वास्थ्य की अनदेखी क्यों? जबकि महिलाएं ही परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण में महत्वपूर्ण होती हैं।
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WHO के अनुसार, महिलाओं का स्वास्थ्य ज्यादातर प्रजनन स्वास्थ्य के इर्द-गिर्द घूमता है। एक महिला के लिए स्तन कैंसर से आठ गुना अधिक जोखिम भरा होता हृदय रोग से मरने का जोखिम। हृदय रोगों के कारण युवा आबादी में भारत दुनिया भर में होने वाली मौतों का पांचवां हिस्सा है।
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इन लक्षण से महिला समझ सकती है कि वह पीड़ित है, ह्रदय रोग से:
- सीने में दर्द या बेचैनी (दबाव या निचोड़ने की अनुभूति)
- सीने में तकलीफ के बिना या तकलीफ के साथ सांस फूलना
- आलस्य
- अचानक ठंडा पसीना आना, जी मिचलाना या उल्टी होना
- जबड़े या गर्दन में दर्द
- पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द
- एक या दोनों बाहों या कंधों में बेचैनी
- असामान्य थकान
- छाती के निचले हिस्से या पेट के ऊपरी हिस्से में परेशानी होना