साहित्यिकी : आईये पढ़ते हैं प्रसिद्ध लेखिका शिवानी की कहानी ‘नथ’

“हम अपने पढ़ने की आदत को मांझ रहे हैं और इसी सिलसिले में आज पढ़ेंगे प्रसिद्धि लेखिका शिवानी की एक कहानी। कहानीकार एवं उपन्यासकार शिवानी का असल ना गौरा पंत है। वे शिवानी के नाम से लिखती थीं और उनकी कहानियां काफी लोकप्रिय हुई। कृष्णाकली, भैरवी , आमादेर, शांतिनिकेतन, विषकन्या चौदह फेरे आदि उनकी प्रमुख कृतियों में शामिल हैं। आईये आज पढ़ते हैं उनकी कहानी नथ।”

                                             नथ

पुट्टी ने उठकर अपनी छोटी-सी खिड़की के द्वार खोल दिये। धुएँ से काली दीवारों पर सुरज की किरणों का जाल बिछ गया। छत से झूलते हए छींके में धरे ताजे मक्खन की खुशबू से कमरा भर गया और पुट्टी के हृदय में एक टीस-सी उठ गयी — क्या करेगी उस खुशबू का जब उस मक्खन को खानेवाला ही नहीं रहा! ऐसे ही ताजे मक्खन की डली फाफर की काली रोटी पर धरकर खाते-खाते उसके पति ने उसके मुँह में अपना जूठा गस्सा दूंस दिया था — ठीक जाने के एक दिन पहले। उस दिन भी ऐसे ही खिड़की के पट से चोर-सा उजाला आकर पूरे कमरे में फैल गया था और उसी उजाले के पीछे-पीछे न जाने कहाँ से उसकी सास आकर खड़ी हो गयी थी। अपने धृष्ट फ़ौजी पुत्र की बहू को कर्कशा सास ने वहीं चीरकर धर दिया था — “हद है बेशर्मी की भी! हमारे कुमाऊँ की छोकरी होती, तो ऐसी बेशर्म थोड़े ही होती! है न तिब्बत की लामानी, इसी से गुण दिखा रही है!” सास के जाने के पश्चात् वह कितनी देर तक पति की छाती पर सिर धरे सुबकती रही थी, पर जिस छाती को चीनियों की गोलियों की वर्षा झेलनी थी, वह सुन्दर पत्नी की टेक बनती भी कैसे? गुमान सिंह के जाते ही पुट्टी पर विपत्तियों का पर्वत टूट पड़ा। सास, विधवा ननद और जिठानी की गालियाँ सुनती तो वह जान-बूझकर ही बहरी बन जाती-दोनों कानों पर हाथ धरकर इशारा करती कि उसे कुछ भी नहीं सुनाई दे रहा है। विधवा ननद का पर्वताकार शरीर क्रोध के भूकम्प से डोल उठता — “अन्धी, कानी, बहरी लड़कियाँ क्या अभी और बची हैं भौजी, तुम्हारे तिब्बत में? अभी हमारा एक भाई और भी तो है।” वह व्यंग्य-भरे स्वर में चीखकर कहती। अपने दोनों कानों पर हाथ धर अपनी भोली सूरत को और भी भोली बनाकर पुट्टी सधे अभिनय की मुद्रा में कहती, “क्या करूँ, न जाने क्या हो गया है इन कानों में! हरदम साँय-साँय की आवाज़ आती है! एकदम बज्जर गिर गया है — निगोड़े कानों में!” ।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।