Mon, Dec 29, 2025

सोने-चांदी नहीं, लोगों की मुस्कान थी इस राजा की दौलत! जनता की परेशानियों को दिया तवज्जो

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
ऐसे राजाओं का नाम इतिहास के पन्नों पर अच्छे कामों के लिए दर्ज हो चुका है। ऐसे ही एक राजा के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने लोगों के घर को उजाला करने के लिए बहुत बड़ा बलिदान दिया था।
सोने-चांदी नहीं, लोगों की मुस्कान थी इस राजा की दौलत! जनता की परेशानियों को दिया तवज्जो

भारत का इतिहास काफी ज्यादा रोचक रहा है। इनमें कुछ मुगल शासक और राजा ऐसे भी हैं, जिन्हें उनके अच्छे कामों के लिए जाना जाता है। हालांकि, कुछ ऐसे भी शासक रहे हैं जिन्होंने जनता पर काफी ज्यादा जुल्म किए हैं। लोगों के बीच वह राजा हमेशा पसंदीदा रहे, जिन्होंने जनता के लिए अच्छे काम किए, उन्हें खुद से ज्यादा अहमियत और प्यार दिया। इन राजाओं ने सोने-चांदी के तख्त पर बैठने के बजाय आम लोगों की परेशानियों को ज्यादा तवज्जो दी है।

ऐसे राजाओं का नाम इतिहास के पन्नों पर अच्छे कामों के लिए दर्ज हो चुका है। ऐसे ही एक राजा के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने लोगों के घर को उजाला करने के लिए बहुत बड़ा बलिदान दिया था।

कृष्णाराज वोडियार IV

दरअसल, इस राजा का नाम कृष्णाराज वोडियार IV है, जो कि मैसूर के राजा थे। उन्हें अपने पैसे पर कोई घमंड नहीं था, बल्कि उन्होंने इसका इस्तेमाल केवल अपनी जनता की भलाई के लिए किया। महाराजा कृष्णा राज बहुत ही दयालु किस्म के इंसान थे, जिनका जन्म 1884 में 4 जून को मैसूर पैलेस में हुआ था। महज 11 साल की उम्र में राजगद्दी संभालने वाले यह राजा बहुत ही शांत स्वभाव के थे। 18 साल होने तक उनकी मां विलास सानिधाना ने सत्ता संभाली थी।

कई भाषाओं के ज्ञानी

बालिग होने के बाद महाराजा कृष्ण राज ने अपना पूरा ध्यान जनता पर दिया। उन्हें ऐशो-आराम पसंद नहीं था। वह पढ़े-लिखे और कई भाषाओं के ज्ञानी थे। ऐसे में उन्होंने लोगों के लिए अपनी जिंदगी गुजारने का फैसला लिया। संगीत में भी वह काफी दिलचस्पी रखते थे। ऐसे में उनके यहां आए दिन जश्न हुआ करते थे, जिसमें शाही लोगों के अलावा आम जनता भी शामिल होती थी।

विकलांग बच्चों की मदद

कृष्णा राज ने अपने महल को बड़ा करने के बजाय लोगों की जरूरत को ज्यादा अहमियत दी। उन्होंने उन लोगों की बगावत की, जो छुआछूत को मानते थे। इसके अलावा, 8 साल से कम उम्र की बच्चियों की शादी पर रोक लगाई। विधवा महिलाओं को पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी। केवल इतना ही नहीं, अपने निजी खजाने से 60 लाख रुपए विकलांग बच्चों की मदद के लिए दिए। उस वक्त 60 लाख रुपए आज के अरबों-खरबों के बराबर है।

शिक्षा को दिया बढ़ावा

आपको बता दें कि साल 1905 में हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर की स्थापना हुई। उस दौरान यह एशिया का पहला ऐसा शहर बना, जहां यह पावर प्लांट बनाया गया। इसलिए उन्हें रोशनी वाला राजा भी कहा जाता है। लोग उन्हें प्यार से ‘कृष्णा राज भोपाल माने दीपा’ कहने लगे, जिसका अर्थ “हर घर को रोशनी देने वाला राजा” है। साल 1927 तक उन्होंने शिक्षा का बजट 6.9 लाख रुपए से बढ़ाकर 46.8 लाख रुपए कर दिया।

डैम का निर्माण

इसके अलावा, राजा ने कृष्णा राज सागर बांध का निर्माण किया। इससे उस समय लोगों की परेशानी का समाधान निकल सके। इसके लिए राजा ने उस वक्त आज के हिसाब से कीमत लगभग 57,901 करोड़ रुपए के बजट दिया। इस दौरान पैसों की कमी हो गई थी, तब राजा ने अपने सारे गहने बेच दिए थे और डैम बनवाने में दिए। आज भी यह बांध लाखों लोगों को पानी देता है। यहां के लोगों के लिए यह राजा किसी देवता से कम नहीं थे।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)