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Sun, Dec 7, 2025

दिवाली पर पूरी तरह चीनी से तैयार होने वाली इस मिठाई के बिना अधूरी है लक्ष्मी पूजा, जानें रेसिपी

Written by:Sanjucta Pandit
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन में राजस्थान की पारंपरिक इस मिठाई का विशेष महत्व होता है। केवल चीनी और पानी से बनने वाली यह शीशे जैसी पारदर्शी मिठाई शरद पूर्णिमा से दीपावली तक बनाई जाती है,जो कि समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।
दिवाली पर पूरी तरह चीनी से तैयार होने वाली इस मिठाई के बिना अधूरी है लक्ष्मी पूजा, जानें रेसिपी

पूरे देश भर में दिवाली बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। शहर रंग बिरंगी लाइटों से दुल्हन की तरह सज धज कर तैयार है। हर कोई अपने घर के आंगन को दीपक से सजा रहा है। शाम के समय का नजारा ही धनतेरस के दिन कुछ और ही देखने को मिला। वहीं, आज छोटी दीपावली मनाई जा रही है। सुबह से ही बच्चे पटाखे फोड़ने में जुटे हुए हैं। घर पर तरह-तरह के पकवान बनाए जा रहे हैं, जिन्हें मेहमानों को परोसने के साथ-साथ माता लक्ष्मी को भी भोग के रूप में चढ़ाया जाएगा। इससे उन्हें प्रसन्नता हासिल होगी। मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी को यह भोग अति प्रिय है। यदि आप इस भोग को अर्पित करते हैं, तो आपकी सारी मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण होगी। इसके अलावा, आपके घर में धन की कभी कोई कमी नहीं होगी।

ऐसे में आज हम आपको उसे खास मिठाई के बारे में बताएंगे, जो देवी लक्ष्मी को बहुत ही पसंद है। दिवाली के समय यह हर घर में बनती है और यह लक्ष्मी पूजन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

चपड़ा मिठाई

कहीं बेसन के लड्डू तले जा रहे हैं, कहीं नमकीन तैयार हो रहा है… कहीं बच्चे मिठाई का इंतजार करते-करते रसोई के चक्कर काट रहे हैं। इसी बीच एक ऐसी खुशबू भी है जो पूरे मोहल्ले में सबसे अलग महसूस होती है। जी हां, दरअसल इस मिठाई का नाम चपड़ा है, जो कि राजस्थान की प्रसिद्ध मिठाई है। इसे साल में केवल एक बार ही बनाया जाता है। राजस्थान के गांवों और कस्बों में दीपावली की पहचान ही बदल जाती है, जब चपड़ा मिठाई बनना शुरू होती है। इसे यहां बड़क मिठाई भी कहा जाता है। इसमें घी, तेल या मावा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, बल्कि केवल शुद्ध चीनी और पानी का इस्तेमाल होता है। सुनने में भले साधारण लगे, लेकिन जब यह बनकर तैयार होती है, तो स्वाद में यह कुरकुरा और लाजवाब होता है।

बता दें कि यह मिठाई पूरे साल नहीं बनती। सिर्फ शरद पूर्णिमा से लेकर दीपावली तक के समय में ही इसे बनाया जाता है। माना जाता है कि इस मौसम में ठंडी हवाएं चीनी की परतों को सही बनावट देती हैं, जिससे मिठाई में वह खास कुरकुरापन आता है। इसलिए लोग इसका इंतजार पूरे साल करते हैं।

बाजार में डिमांड

दीपावली के दौरान चपड़ा मिठाई की मांग इतनी ज्यादा होती है कि कई बार लोग हफ्तों पहले ऑर्डर दे देते हैं। मान्यताओं के अनुसार, लक्ष्मी जी को ये मिठाई बहुत प्रिय है। दीपावली की रात जब पूजा होती है, तो सबसे पहले यह भोग में चढ़ाई जाती है। इसकी चमक और मिठास दोनों ही समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। यह मिठाई देखने में बिल्कुल आरपार दिखती है, जैसे कांच हो, लेकिन जब इसे तोड़ते हैं तो इसकी आवाज कुरकुरे जैसी आती है।

ऐसे बनाएं

  • सबसे पहले बड़ी कढ़ाई में तीन से चार किलो चीनी और थोड़ा पानी डालकर भट्टी पर चढ़ा दिया जाता है।
  • इसे करीब 15 मिनट तक लगातार चलाया जाता है, ताकि मिश्रण जल न जाए।
  • जब यह गाढ़ा सिरा बन जाए, तो उसे पहले से चिकनी की गई थाली में डाल दें।
  • अब इसे ठंडा होने देना।
  • जैसे ही यह हल्का ठंडा होता है, इसे सावधानी से उठाकर अलग-अलग आकार में काट लें।

राजस्थान में चपड़ा मिठाई हर घर में बनती है। शरद की ठंडी रातों में जब दीप जलते हैं और पूजा की थाली में चपड़ा मिठाई रखी होती है, तो ऐसा लगता है जैसे घर में सिर्फ मिठास नहीं, बल्कि लक्ष्मी जी का आशीर्वाद मिल गया हो।