सिर्फ आम ही नहीं है फलों का राजा..इसके पत्ते, छाल, लकड़ी और जड़ें भी हैं बेहद उपयोगी

आम का पेड़ सिर्फ अपने रसीले फलों के लिए ही मशहूर नहीं, बल्कि इसके हर हिस्से में कई अनमोल गुण हैं। इसके पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट और सूजन कम करने वाले तत्व होते हैं। इन्हें काढ़े या चाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय संस्कृति में तो हर शुभ अवसर पर आम के पत्तों का उपयोग किया जाता है। वहीं, आम की गुठली भी बहुत फायदेमंद होती है। इस पेड़ की छाल में रोग भगाने वाले गुण हैं और इसकी लकड़ी हस्तशिल्प निर्माण से लेकर ईंधन तक के काम आती है।

Mango tree benefits : आम का मौसम आ गया है। चिलचिलाती, परेशान करती गर्मी भी कई बार इसलिए अच्छी लगती है क्योंकि इस मौसम में फलों का राजा आम आता है। कितने लोग हैं जो सालभर गर्मी का इंतज़ार सिर्फ इस फल के लिए करते हैं। अब आम के बारे में क्या कहा जाए। इसकी शान में कितने शायरों ने अपनी कलम चलाई है। इसका स्वाद इतना कमाल होता है कि जितना खा लो..मन ही नहीं भरता।

लेकिन सिर्फ आम का फल ही अद्भुत नहीं..इस पेड़ का हर हिस्सा गुणों से भरा है। आम की गुठली, आम के पत्ते, छाल  और जड़ें भी किसी खजाने से कम नहीं हैं। भारतीय संस्कृति में तो आम के पेड़ का हर हिस्सा खास महत्व रखता है चाहे वह धार्मिक परंपराएं हों या फिर सेहत से जुड़े फायदे।

भारतीय संस्कृति में आम के पत्तों का धार्मिक महत्व

भारत में आम के पत्तों को शुभ माना जाता है। याद कीजिए कैसे किसी भी पूजा, कथा या खास मौके पर मां-दादी या नानी आपको आम के पत्ते लाने भेज देती थीं।  पूजा-पाठ से लेकर शादी-विवाह जैसे शुभ अवसरों तक इनका खूब इस्तेमाल होता है। कितने घरों में आज भी के मुख्य दरवाजे पर आम के पत्तों का बंदनवार या तोरण सजाया जाता है। मान्यता है कि ये सकारात्मक ऊर्जा लाता है और बुरी नजर से बचाता है। होली, दीवाली या किसी अन्य शुभ अवसर पर आम के पत्तों का प्रयोग सदियों से चला आ रहा है।

पत्तों का औषधीय चमत्कार

लेकिन आम के पत्ते सिर्फ सजावट तक ही सीमित नहीं बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं। इनमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर को तंदुरुस्त रखते हैं। मधुमेह के मरीजों के लिए पत्तों का काढ़ा बनाकर पीना फायदेमंद माना जाता है। साथ ही, इन्हें सुखाकर चाय बनाई जाती है, जो पाचन को दुरुस्त रखती है। आम के पत्तों में एंथोसायनिन और टैनिक एसिड होता है, जो ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है। सुबह खाली पेट आम के पत्तों का पानी पीना लाभकारी माना जाता है।

आम की गुठली: बेहद काम की चीज

क्या आप भी आम खाने के बाद उसकी गुठली फेंक देते हैं ? मुझे याद आता है अपना बचपन जब मेरी नानी आम की गुठली को अच्छे से धोकर सुखा लेती थीं। फिर उसे फोड़कर उसके अंदर की गुठली निकालतीं और उसे नमक के पानी में उबालकर, धूप में सुखाकर उसका सुपारी बनातीं। बच्चों को सामान्य तौर पर सुपारी नहीं दी जाती है..लेकिन आम की गुठली से बनी सुपारी हम सब बड़े चाव से खाते और कोई हमें रोकता भी नहीं। इसी तरह, आम की गुठली का अचार भी बनता। या तो आम के अचार में ही ये गुठली तोड़कर डाल दी जाती या अलग से इसका अचार डाला जाता। आम की गुठली में कई गुण छुपे होते हैं। गुठली से निकलने वाला तेल, जिसे ‘मैंगो बटर’ कहते हैं त्वचा के लिए वरदान है। क्रीम, लोशन और साबुन बनाने में इसका इस्तेमाल खूब  होता है। आम की गुठली का तेल बालों को भी मजबूत और घना बनाता है। इसके अलावा गुठली का चूर्ण भी बनाया जाता है जो पेट की समस्याओं जैसे दस्त या पेचिश में राहत देता है। गांवों में तो इसे सुखाकर पशुओं के चारे में भी मिलाया जाता है।

छाल और जड़ें: सेहत के साथी

आम की छाल भी कमाल की होती है। इसका काढ़ा बनाकर पीने से गले की खराश, मसूड़ों की सूजन और पेट के रोगों में आराम मिलता है। आयुर्वेद में इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। वहीं, आम की जड़ों का प्रयोग कुछ जगहों पर घाव भरने और खून रोकने के लिए भी किया जाता है। छाल से प्राकृतिक रंग भी बनाया जाता है, जो कपड़ों की रंगाई में काम आता है।

पेड़ की लकड़ी भी है उपयोगी

आम के पेड़ की लकड़ी भी बेकार नहीं जाती। आम की लकड़ी हल्की लेकिन मजबूत होती है और इससे प्लाईवुड और वीनियर  बनाई जाती है, जो निर्माण कार्यों में उपयोगी होती। इससे बांसुरी और लकड़ी के खिलौने भी बनाए जाते हैं। कुछ जगहों पर इससे छोटे फर्नीचर या हस्तशिल्प भी बनाए जाते हैं।आम की लकड़ी का प्रयोग हवन, यज्ञ और पूजा-पाठ में भी किया जाता है। सूखने पर यह जलावन के काम आती है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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