मुखवास: स्वाद, सुगंध और सेहत का खजाना, जानिए इस मीठी सांस्कृतिक विरासत के लाभ

मुखवास भारतीय भोजन और संस्कृति का एक अनूठा हिस्सा है जो स्वाद, सुगंध और कई तरह के स्वास्थ्य लाभ का संगम है। सौंफ, इलायची, लौंग, पान और गुलकंद जैसी सामग्री न सिर्फ मुंह को ताज़ा करती हैं, बल्कि पाचन सहित कई तरह के और फायदे भी पहुंचाती हैं। तो अगली बार जब आप भोजन के बाद मुखवास का आनंद लें..इसके स्वास्थ्य लाभों और सांस्कृतिक महत्व को भी याद करें।

Mukhwas A Flavorful and Fragrant Heritage : क्या आप भी खाने के बाद सौंफ और मिश्री खाते हैं ? या आपको भी डिनर के बाद इलायची चाहिए ? अगर ऐसा है तो आप भी मुखवास के शौकीन हैं। मुखवास..भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। भोजन के बाद ये मुंह को ताज़ा करने और पाचन को बेहतर बनाने का पारंपरिक तरीका है।

मुखवास जिसे माउथ फ्रेशनर  भी कहा जाता है..न सिर्फ स्वाद बढ़ाता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी कई तरह से लाभकारी है। सौंफ मुखवास के रूप में सबसे ज्यादा प्रचलित है, लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य सामग्री हैं जो इस उद्देश्य के लिए उपयोग की जाती हैं।

मुखवास: स्वाद और स्वास्थ्य का अनूठा संगम

सौंफ-सुपारी हमारे यहां मेहमाननवाज़ी का भी प्रतीक है। कोई अतिथि आता है तो चाय नाश्ते खाने के बाद उसके सामने सौंफ-सुपारी की ट्रे पेश करना हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है। इसी से समझा जा सकता है कि मुखवास का कितना महत्व है। ये सिर्फ आपके मुँह को ताज़गी देता है, बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

क्या होता है मुखवास 

मुखवास शब्द संस्कृत के “मुख” (मुंह) और “वास” (गंध) से मिलकर बना है..जिसका अर्थ है मुंह को सुगंधित करना। ये एक ऐसी खाद्य सामग्री या मिश्रण होता है..जिसे भोजन के बाद चबाया जाता है ताकि मुंह की दुर्गंध दूर हो, सांस ताज़ा हो और पाचन प्रक्रिया में भी सुधार हो सके। भारतीय घरों और रेस्तरां में भोजन के बाद मुखवास परोसना एक आम परंपरा है। यह साधारण सौंफ-सुपारी-लौंग-इलाचयी से लेकर अन्य मसालों, सूखे मेवों और चीनी-मिश्री के दानों तक के मिश्रण के रूप में हो सकता है।

मुखवास के गुण और लाभ

1.  सौंफ (Fennel Seeds): सौंफ सबसे प्रचलित मुखवास है। इसमें anethole नाम का तेल होता है जो एंटी-माइक्रोबियल गुणों से भरपूर होता है। सौंफ में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। यह विटामिन C, पोटैशियम और फाइबर का अच्छा स्रोत है। ये पाचन में सुधार करती है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों और मांसपेशियों की सूजन को कम करते हैं।

2. इलायची (Cardamom): छोटी और बड़ी इलायची दोनों का उपयोग मुखवास के लिए किया जाता है। यह अपने तीखे और सुगंधित स्वाद के लिए जानी जाती है। इलायची में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-स्पास्मोडिक गुण होते हैं। ये मुंह के बैक्टीरिया को कम करती है और सांस को ताज़ा रखती है। इलायची की सुगंध तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करती है।

3. लौंग (Clove): लौंग का उपयोग इसके तीक्ष्ण स्वाद और औषधीय गुणों के लिए होता है। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी-फंगल और दर्द निवारक गुण होते हैं। लौंग दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन को कम करती है। इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। लौंग खांसी और सर्दी में भी राहत देती है।

4. पान के पत्ते (Betel Leaves): पान के पत्तों को चूने, कत्था, सुपारी और अन्य सामग्रियों के साथ मिलाकर मुखवास के रूप में खाया जाता है। हमारे यहां पान के कई प्रकार होते हैं। पान के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। पान के पत्ते पाचन को बढ़ावा देते हैं और कब्ज से राहत दिलाते हैं। इसके एंटीसेप्टिक गुण त्वचा के संक्रमण को रोकते हैं। ये पेट फूलने की समस्या और अपच को कम करती है।

5. धनिया के बीज/दाल (Coriander Seeds): भुनी हुई धनिया दाल का उपयोग मुखवास में स्वाद और पाचन लाभ के लिए किया जाता है। धनिया दाल में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और पाचन को बढ़ावा देने वाले गुण होते हैं। इसका हल्का स्वाद मुंह को ताज़ा रखता है।

6. सुपारी (Betel Nut): सुपारी को छोटे टुकड़ों में काटकर या पाउडर के रूप में मुखवास में मिलाया जाता है। ये पाचन रसों के स्राव को बढ़ाती है। हालांकि अधिक मात्रा में सुपारी का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए इसे सीमित मात्रा में खाना चाहिए।

7. गुलकंद (Rose Petal Preserve): गुलकंद एक मीठा और सुगंधित मिश्रण है, जो गुलाब की पंखुड़ियों और चीनी से बनता है। गुलकंद में शीतलता प्रदान करने वाले और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह पेट की जलन और कब्ज को कम करता है। इसकी सुगंध और स्वाद तनाव को कम करते हैं।

8. तिल (Sesame Seeds): भुने हुए तिल को चीनी या गुड़ के साथ मिलाकर मुखवास बनाया जाता है। तिल में कैल्शियम, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसमें काफी मात्रा में कैल्शियम होता है, जो हड्डियों को मजबूत करता है। तिल फाइबर का अच्छा स्रोत है, जो पाचन को बेहतर बनाता है।

9. मिश्री (Rock Sugar): मिश्री का उपयोग मीठे स्वाद के लिए और मुंह को ताज़ा करने के लिए होता है। सौंफ और मिश्री को साथ में चबाने से गले को राहत मिलती है और सूखी खांसी में फायदा होता है। मिश्री आपको तुरंत ऊर्जा प्रदान करती है। थकान या कमजोरी में यह इंस्टेंट राहत देती है।

10. अजवाइन (Carom Seeds): अजवाइन का उपयोग पाचन को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और पाचन को बढ़ावा देने वाले गुण होते हैं। अजवाइन गैस, अपच और पेट दर्द को कम करती है। ये मुंह के बैक्टीरिया को भी कम करती है।

(डिस्क्लेमर: ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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