रोपवे अब सिर्फ ट्रांसपोर्ट का जरिया नहीं रहा, बल्कि टूरिज्म का रोमांचक हिस्सा बन चुका है। यह न सिर्फ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों को पार करना आसान बनाता है, बल्कि उन जगहों तक भी पहुंचा देता है जहां पैदल पहुंचना लगभग नामुमकिन है। ऊपर से चलती चेयर कार में बैठकर नीचे बहती नदी, घने जंगल और बर्फ से ढकी चोटियों को देखना हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है।
जम्मू-कश्मीर में बना गोंडोला रोपवे
भारत में कई ऐसे टूरिस्ट स्पॉट हैं जो रोपवे की वजह से और ज्यादा खास हो गए हैं। गुलमर्ग, जम्मू-कश्मीर में बना गोंडोला रोपवे भारत का सबसे ऊंचा और एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा रोपवे है। यह करीब 13,000 फीट तक जाता है और वहां से दिखते देवदार के जंगल और बर्फीले पहाड़ किसी पोस्टकार्ड से कम नहीं लगते।
औली (उत्तराखंड) का रोपवे
वहीं, औली (उत्तराखंड) का रोपवे भी काफी मशहूर है जो जोशीमठ को जोड़ता है। 4 किलोमीटर लंबा ये सफर किसी फिल्मी सीन जैसा लगता है, जहां हिमालय की बर्फीली चोटियां आपकी आंखों के सामने तैरती हैं। खास बात यह है कि औली रोपवे एशिया के सबसे लंबे रोपवे में से एक माना जाता है और सर्दियों में तो यहां का नजारा और भी शानदार हो जाता है।
मनाली की सोलंग वैली
मनाली की सोलंग वैली तक जाने वाला रोपवे भी बेहद लोकप्रिय है। सर्दियों में यहां बर्फ के पहाड़ और सेब के बाग एक साथ दिखते हैं। चेयर कार से वैली का विहंगम दृश्य ऐसा लगता है मानो कोई आर्ट गैलरी हो जो लाइव हो गई हो।
गंगटोक (सिक्किम) में भी एक शानदार रोपवे
गंगटोक (सिक्किम) में भी एक शानदार रोपवे है, जो शहर की खूबसूरती को करीब से दिखाता है। यह 1 किलोमीटर लंबा है और इससे कंचनजंगा की पहाड़ियों को देखना किसी स्वप्न से कम नहीं। वहीं, जूनागढ़ (गुजरात) का गिरनार रोपवे धार्मिक भावनाओं से भी जुड़ा है। यह 2.3 किलोमीटर लंबा है और श्रद्धालु इससे मंदिर तक पहुंचते हैं, रास्ते में गिर के जंगल भी नजर आते हैं।
भेड़ाघाट का रोपवे
अगर मध्यप्रदेश की बात करें तो जबलपुर के पास भेड़ाघाट का रोपवे एक छुपा हुआ खजाना है। यहां संगमरमर की चट्टानों के बीच से नर्मदा बहती है और वहीं पास में एक शानदार वॉटरफॉल भी है। 15-20 मिनट की रोपवे राइड में ये सब एक साथ देखना बेहद रोमांचक अनुभव देता है।





