भारत की रहस्यमयी झील, जहां जाने वाला कभी लौट कर नहीं आता, डर से कांप उठते हैं स्थानीय लोग!

वैज्ञानिक भी इस झील का रहस्य जानने में असफल है, उन्हें यहां कोई भी ठोस सबूत नहीं मिला है। यहां कोई भी नहीं जाना चाहता है, इसलिए इसका नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

भारत में एक से बढ़कर एक चीज हैं, जो देखने लायक है। इसे नजदीक से देखने और जानने के लिए पर्यटक दूर-दराज से पहुंचते हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। इन सब का अलग-अलग इतिहास और रहस्य है। यह अपनी खूबसूरती के लिए भी जानी जाती है। इसके चर्चे दुनिया भर में है।

आज हम आपको भारत की उस रहस्यमई झील के बारे में बताएंगे, जहां जाने वाला कभी भी वापस लौट कर नहीं आया है। इसे लेक ऑफ नो रिटर्न के नाम से भी जाना जाता है।

नवांग यांग झील

दरअसल, इस रहस्यमई झील का नाम नवांग यांग है, जो अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। यह झील देखने में जितनी ज्यादा खूबसूरत है, उतनी ही इसकी कहानी भी मसहूर हैं। यह जानकर लोग हैरान हो जाते हैं। इन किस्सों पर आज की दुनिया में विश्वास करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है, लेकिन स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि इस झील में बुरी शक्तियों का वास है। जिस कारण यहां जाने वाला कभी भी लौटता नहीं है। हालांकि, इस बात में कितनी सच्चाई है इस बात की किसी को कोई जानकारी नहीं है।

कई किस्से हैं प्रचलित

इतिहासकारों की मानें तो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी विमान के पायलट ने अपने प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग कराई थी। उसे यह लगा था कि यह समतल मैदान है, लेकिन जैसे ही वह यहां उतरा विमान पायलट के साथ रहस्यमय तरीके से गायब हो गया। इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि युद्ध खत्म होने के बाद जापानी सैनिक वापस लौट रहे थे, जैसे ही वह झील के पास पहुंचे वैसे ही वह सभी रास्ता भूल गए और वहां से गायब हो गए। एक अन्य कहानी की बात करें, तो स्थानीय लोगों का ऐसा भी मानना है कि कई साल पहले गांव के एक व्यक्ति ने बड़ा मछली पकड़ी थी। जिस खुशी में उसने पूरे गांव को दावत दी, लेकिन उसने दावत में झील की देखभाल करने वाली दादी और उसकी पोती को नहीं बुलाया। साथ ही दोनों को गांव छोड़ने के लिए कहा। इसके अगले दिन ही पूरा गांव झील में डूब गया था।

डर से कांप उठते हैं स्थानीय लोग

कई स्थानीय लोगों का ऐसा दावा है कि इस झील में बुरी शक्ति का साया है। हालांकि, यहां जाने वाले लोगों के साथ क्या हुआ, वह कहां गए इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है। वैज्ञानिक भी इस झील का रहस्य जानने में असफल है, उन्हें यहां कोई भी ठोस सबूत नहीं मिला है। यहां कोई भी नहीं जाना चाहता है, इसलिए इसका नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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