National Princess Day 2022 : आज राजकुमारी दिवस (नेशनल प्रिंसेस डे) है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि ऐसा भी कोई दिन होता है। लेकिन ये भी सच है कि अपने माता पिता और घरवालों की हर लाड़ली खुद को किसी राजकुमारी से कम नहीं समझती। शायद यही वजह है कि ‘पापा की परी’ ‘पापा की राजकुमारी’ जैसे जुमलों का चलन हुआ। नेशनल प्रिंसेस डे मनाने के पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है।
नेशनल प्रिंसेस डे मनाने के पीछे की कहानी
हर कोई बचपन में कहानी की किताबों में राजकुमारियों के किस्से पढ़कर बड़ा हुआ है। इसी के साथ एनिमेशन फिल्मों में भी इस तरह के किस्से दिखाए जाते रहे हैं। उन किस्सों को पढ़ते देखते बच्चियां अपने आपको नायिका यानी राजकुमारी के रूप में कल्पना करने लगती। इस दिन को मनाने के पीछे की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। दरअसल टेक्सास की एक एंटरटेनमेंट एजेंसी नेस्ट फैमिली एंटरटेनमेंट ने रिच एनिमेशन के साथ मिलकर 1994 में एनिमेटेड फिल्म द स्वान प्रिंसेस बनाई (The Swan Princess) जो स्वान लेक का एक संगीत रूपांतरण था। ये कहानियां रूसी लोक कथाओं पर आधारित थी और उसी के बाद से ये दिन मनाया जाने लगा ताकि बच्चों को उनकी कल्पनाओं का जश्न मनाने का मौका मिल सके। आज के दिन कई स्थानों पर बच्चों को राजकुमारी की तरह सजाते हैं, कपड़े पहनाते हैं और उनकी सारी इच्छाएं पूरी की जाती है। आज उन्हें बिल्कुल किसी राजकुमारी की तरह ट्रीट किया जाता है।
बच्चियों को मजबूत बनाने की जरुरत
पुरानी कहानियों में अक्सर हमने सुना है कि राजकुमारी को अलग अलग तरह की मुसीबतों से बचाने के लिए एक राजकुमार आता है, और फिर वो हमेशा एक साथ खुश रहते हैं। लेकिन समय बदलने के साथ कहानियां भी बदली हैं। आज राजकुमारी अपनी रक्षा खुद करती है और अपनी दुनिया भी खुद ही बनाती है। बदलते समय के साथ राजकुमारी होने के मायने भी बदले हैं। इसीलिए हर किसी को अपनी राजकुमारी, चाहे वो बेटी हो बहन हो या फिर कोई भी, उसे खुद के पैरों पर खड़ा होने और मजबूत बनने की सीख देनी चाहिए। इसी तरह समाज की हर बच्ची को भी ये सुविधा हासिल नहीं है कि वो राजकुमारी जैसा महसूस कर सके या कल्पना भी कर सके, ऐसे में हम एक साझा प्रयास कर सकते हैं बच्चियों के जीवन को बेहतर बनाने का। ‘राजकुमारी’ होना एक काल्पनिक स्थिति है लेकिन बच्चियों का जीवन सुंदर बने और इसके लिए सही दिशा में कोशिश करना जरुरी है।