अक्सर हम दूसरों के स्वभाव और व्यवहार का आंकलन तो बड़ी आसानी से कर लेते हैं, लेकिन खुद की पर्सनैलिटी को लेकर बेखबर रहते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि हमारा नेगेटिव रवैया ही हमारे रिश्तों, करियर और मानसिक शांति को नुकसान पहुंचा रहा होता है। लेकिन हमें इसका एहसास ही नहीं हो पाता।
अगर आप अकसर खुद को परेशान, असंतुष्ट या चिड़चिड़ा महसूस करते हैं, तो ये संकेत हो सकते हैं कि आपकी पर्सनैलिटी में कुछ नेगेटिव एलिमेंट्स मौजूद हैं। अच्छी बात ये है कि पर्सनैलिटी को पहचानकर उसमें सुधार किया जा सकता है। नीचे दिए गए 5 संकेतों और तरीकों की मदद से आप खुद को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
खुद की पर्सनैलिटी को समझें और बनाएं पॉजिटिव लाइफस्टाइल का हिस्सा
हर वक्त शिकायत करना और निगेटिव सोचना
अगर आप हर छोटी बात में शिकायत ढूंढते हैं और हर सिचुएशन को नकारात्मक नजर से देखते हैं, तो यह नेगेटिव पर्सनैलिटी का सबसे बड़ा संकेत है। ऐसे लोग ना सिर्फ खुद को तनाव में रखते हैं, बल्कि आसपास के लोगों को भी परेशान कर देते हैं।
कैसे लाएं सुधार?
हर दिन 5 पॉजिटिव बातें लिखें जो आपके साथ हुई हों। धीरे-धीरे आपकी सोच का नजरिया बदलने लगेगा। खुद से पूछें, “क्या वाकई ये इतनी बड़ी बात है कि मुझे दिनभर इसका तनाव रहे?”
दूसरों की सफलता से जलन महसूस करना
अगर किसी की तरक्की या खुशियों को देखकर आपको अच्छा नहीं लगता और अंदर ही अंदर जलन होती है, तो ये भी नेगेटिव पर्सनैलिटी का संकेत है। ऐसे लोग अक्सर दूसरों की बुराइयों पर ज्यादा ध्यान देते हैं और खुद की खूबियों को नजरअंदाज कर देते हैं।
कैसे लाएं सुधार?
हर किसी की सफलता से कुछ सीखने की कोशिश करें। खुद को बेहतर बनाने पर फोकस करें, दूसरों से तुलना नहीं। याद रखें – हर किसी की यात्रा अलग होती है।
जिम्मेदारियों से भागना और दूसरों को दोष देना
जब कोई गलती हो जाए और आप उसकी जिम्मेदारी लेने के बजाय किसी और पर आरोप लगा दें, तो ये रवैया न सिर्फ दूसरों को हर्ट करता है, बल्कि आपकी छवि को भी खराब करता है। नेगेटिव पर्सनैलिटी वाले लोग अपनी गलतियों को कभी नहीं मानते।
कैसे लाएं सुधार?
अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार करना सीखें। जब आप अपनी गलतियों को मानते हैं, तभी आप उन्हें सुधार सकते हैं। इससे आत्म-सम्मान भी बढ़ता है और लोग आप पर भरोसा करने लगते हैं।
खुद की पहचान बनाना है तो पर्सनैलिटी को पॉजिटिव बनाएं
हर इंसान के भीतर सुधार की क्षमता होती है, बस जरूरत है खुद को पहचानने और सच का सामना करने की। यदि आप ऊपर दिए गए किसी भी पॉइंट से जुड़ाव महसूस करते हैं, तो यह समय है अपनी पर्सनैलिटी में बदलाव लाने का।
पॉजिटिव सोच, आत्मविश्लेषण और नई आदतें अपनाकर आप न केवल एक बेहतर इंसान बन सकते हैं, बल्कि अपनी जिंदगी में शांति और संतुलन भी पा सकते हैं। याद रखें बदलाव बाहर से नहीं, अंदर से शुरू होता है।





