पैरेंट्स टीचर मीटिंग में अपने बच्चे के साथ न करें ऐसा बर्ताव, डिमोटिवेट हो सकता है आपका बच्चा

Amit Sengar
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जीवनशैली,डेस्क रिपोर्ट। गर्मियां की छुट्टियां (Summer vacations) खत्म होने को हैं। और, स्कूल खुलने की घड़ी आ चुकी है। जिसका मतलब है वही भागदौड़। सुबह स्कूल जाने की जल्दी। घर आने के बाद होमवर्क की टेंशन, फिर परीक्षा की तैयारी और उसके बाद आती है पैरेंट्स टीचर मीटिंग (parents teacher meeting) की बारी। जब टीचर्स अपने स्टूडेंट्स का रिजल्ट भी बताती हैं। ये घड़ी हर माता पिता के लिए थोड़ी मुश्किल भरी होती है। खासतौर से तब जब बच्चा पढ़ाई में कमजोर हो या फिर उसकी कुछ हरकतों से टीचर खफा रहती हो। ऐसे में मीटिंग में ही बच्चे के सामने कुछ बातें करने से बचना चाहिए। उनकी वजह से बच्चे में कहीं निगेटिविटी के भाव न आ जाएं। इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

सबके सामने न लगाएं डांट
कुछ पैरेंट्स तैश में आकर पैरेंट्स टीचर मीटिंग में ही बच्चे को डांटने लगते हैं। ऐसे समय पर ये याद रखना जरूरी है कि आप बच्चों को उसी के क्लास मैट्स के सामने डांट रहे हैं। कुछ बच्चे इस बात से उभर जाते हैं लेकिन कुछ बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ता है और निगेटिव फीलिंग्स आने लगती हैं।

ज्यादा तारीफ भी अच्छी नहीं
बच्चों की ज्यादा तारीफ करना भी भारी पड़ सकता है। ज्यादा तारीफ करने पर बच्चा निगेटिव फीलिंग से तो बच सकता है लेकिन ओवर कॉन्फिडेंट भी हो सकता है। इसलिए बेहतर यही है कि बच्चे के सामने बैलेंस प्रतिक्रिया दें।

कमियां न गिनाएं
मीटिंग में सबके सामने ही बच्चे की कमियां न गिनाने लगे। याद रखें ऐसी बात असर ये हो सकता है कि बच्चा बुरी तरह डिमोरलाइज हो जाए। और, जितना परफोर्म कर रहा है उतना रिजल्ट भी न दे सके। इसलिए बेहतर ये होगा कि बच्चे की कमियां टीचर से अलग डिस्कस करें या खुद ही उनका हल खोजें।

एग्रेशन न दिखाएं
बच्चों की गलतियां ज्यादा सुनें या टीचर से कोई शिकायत हो तो एग्रेसिव होकर बात न करें। इसका खामियाजा भी बच्चे को ही भुगतना पड़ सकता है। मीटिंग के दौरान थोड़ा सब्र और थोड़ा सलीका रख कर बात करना आपके और बच्चे दोनों के लिए अच्छा होगा। इससे टीचर और बच्चे की बीच बॉन्डिंग भी अच्छी रहेगी।

*Disclaimer :- यहाँ दी गई जानकारी अलग अलग जगह से जुटाई गई एक सामान्य जानकारी है। MPBreakingnews इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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