सिर्फ वेज, नॉन-वेज और वीगन नहीं: दुनिया में हैं कई तरह के आहार, जानिए भोजन के ये 10 प्रकार

भोजन सिर्फ पेट भरने का साधन नहीं बल्कि संस्कृति, परंपरा और मानवीय इतिहास का एक जीवंत दस्तावेज है। दुनिया भर में भोजन की विविधताएं न सिर्फ स्वाद और सामग्री में, बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों, धार्मिक मान्यताओं और पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी झलकती हैं।

क्या आपने कभी सोचा कि खाने की थाली में कितने रंग छिपे हैं? वेज, नॉन-वेज, और वीगन तो बस शुरुआत हैं। दुनिया में आहार के प्रकार की इतनी लंबी फेहरिस्त है कि आप चौंक जाएंगे। एक प्लेट के इतने फलसफे है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। कहीं मांसाहार बहुत आम बात है तो कोई दूध से भी परहेज़ करता है।

दुनिया में खाने को लेकर ऐसे-ऐसे नियम हैं..जिनके पीछे धर्म है, दर्शन है, पर्यावरण की चिंता है और कहीं सिर्फ स्वाद का मामला है। आइए, एक चटपटे सफर पर चलते हैं जहां हम आपको बताएंगे कुछ अनोखे आहार पंथों से जो स्वाद, स्वास्थ्य, और संस्कृति का अनोखा मिश्रण हैं।

1. पेस्केटेरियन (Pescatarian) : मछली और शाकाहारी फूड का कॉम्बिनेशन

क्या आप मांस छोड़ना चाहते हैं, लेकिन समुद्र का स्वाद नहीं। ऐसा है तो पेस्केटेरियन आपके लिए है। ये लोग मछली और सी-फूड तो खाते हैं लेकिन चिकन, बीफ या पोर्क को दूर रहते हैं। समुद्री भोजन के साथ ये शाकाहारी भोजन खाते हैं।

2. फ्लेक्सिटेरियन (Flexitarian): थोड़ा वेज, थोड़ा नॉन-वेज

ये मुख्यतः शाकाहारी होते हैं लेकिन कभी-कभी अंडा, मांस, मछली भी खा लेते हैं। वो जो हेल्दी भी खाना चाहते हैं और मांस से पूरी तरह दूर भी नहीं होना चाहते ये वही प्रकार है। इसे आप लचीला आहार कह सकते हैं। ये लोग ज्यादातर पौधों पर आधारित भोजन खाते हैं, लेकिन कभी-कभार मांसाहार भी कर लेते हैं।

3. आयुर्वेदिक आहार (Ayurvedic diet) : शरीर की प्रकृति के अनुसार भोजन

आयुर्वेदिक आहार, जो आपके शरीर के दोषों (वात, पित्त, कफ) के हिसाब से बनता है। ये सिर्फ भूख मिटाने का माध्यम नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है जिसका उद्देश्य है शरीर, मन और आत्मा का संतुलन। यह आहार भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद पर आधारित है।

4. जैन आहार (Jain Diet ) : अहिंसा का स्वाद

भारत का जैन आहार सिर्फ शाकाहार नहीं, बल्कि अहिंसा की मिसाल है। प्याज, लहसुन, और जड़ वाली सब्जियां भी इस थाली से गायब हैं, क्योंकि इनका मानना है क इन्हें उखाड़ने से छोटे जीवों को नुकसान हो सकता है। कुछ जैन सूर्यास्त के बाद किसी तरह का भोजन नहीं करते हैं।

5. फ्रूटेरियन (Fruitarian) : फलों का जादू, पेड़ों से प्यार

सोचिए आप सिर्फ फल, नट्स, और बीज खाएं वो भी बिना पौधों को नुकसान पहुँचाए। फ्रूटेरियन ऐसा ही करते हैं। ये लोग सिर्फ वही खाते हैं जो पेड़ से अपने आप गिर जाए। लेकिन ये आहार थोड़ा सख्त है और कई बार पोषण की कमी का खतरा भी हो सकता है। कुछ फ्रूटेरियन मानते हैं कि ये आहार उनकी आत्मा को शुद्ध करता है। लेकिन जरूरी नहीं है कि सभी फ्रूटेरियन इतना सख्त नियम अपनाएं।

6. फ्लेक्सी-वीगन/रिड्यूसेटेरियन (Flexi Vegan or Reducetarian) : धीरे धीरे वीगन बनने की राह

खाने की दुनिया में एक नया रंग उभर रहा है फ्लेक्सी-वीगन या रिड्यूसेटेरियन। ये वो लोग हैं जो वीगन बनने की राह पर चल रहे हैं, लेकिन बिना सख्त नियमों के। अगर आप मांस, डेयरी और अंडे कम करना चाहते हैं, लेकिन पूरी तरह अलविदा नहीं कहना चाहते तो ये आहार शैली आपके लिए है। लोग ज्यादातर पौधे-आधारित भोजन खाते हैं, लेकिन कभी-कभी पशु उत्पादों का सेवन करते हैं। इसका मकसद पशु उत्पादों की खपत को धीरे-धीरे कम करना है।

7. रॉ वीगन (Raw Vegan): कच्चा खाना, पक्का स्वाद

क्या आप खाना पकाने से बचना चाहते हैं। रॉ वीगन लोग सिर्फ कच्चे फल, सब्जिया, नट्स और अंकुरित अनाज खाते हैं, वो भी 48 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर। ये लोग मानते हैं कि कच्चा खाना पोषक तत्वों को जस का तस रखता है। ये वीगन से एक कदम आगे की बात है।

8. कीटो और पैलियो (Keto and Paleo): आधुनिक थाली, प्राचीन जड़ें

कीटो डाइट वालों की थाली में वसा ज्यादा, कार्ब्स कम और स्वाद भरपूर होता है। वहीं, पैलियो डाइट आपको पाषाण युग में ले जाती है, जहां मांस, मछली और फल-सब्जियां हैं लेकिन अनाज और डेयरी को अलविदा कह दिया जाता है। फ़िलहाल कीटो डाइट काफी ट्रेंड में है।

9. हलाल और कोषेर (Halal and Kosher) : आस्था के आधार पर भोजन

हलाल आहार इस्लाम के नियमों के हिसाब से तैयार होता है, जिसमें पोर्क और शराब वर्जित हैं। कोषेर आहार यहूदी नियमों पर चलता है, जहाx मांस और डेयरी को एक साथ खाना मना है। दोनों ही आहार आस्था और अनुशासन का प्रतीक हैं।

10. एंटोमोफैगी (Entomophagy): कीड़ों से प्रोटीन

सुनने में कुछ अजीब लगे लेकिन ये सही है। कुछ लोग कीड़े (जैसे झींगुर और टिड्डे) खाते हैं, क्योंकि ये प्रोटीन से भरपूर और पर्यावरण के लिए टिकाऊ हैं। इसे एंटोमोफैगी कहते हैं और ये धीरे-धीरे कई जगह पॉपुलर हो रहा है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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