टाइटैनिक नहीं! ये था दुनिया का सबसे बड़ा जहाज, जिसे मोड़ने में लगते थे 2 मील, भारत आकर किया यात्रा का अंत

इस जहाज का निर्माण जापानी शिप निर्माता कंपनी ने किया था, जिसे बनाने का आर्डर ग्रीक बिजनेसमैन ने दिया था। ईरान-इराक के युद्ध में फंस जाने के दौरान इस जहाज को काफी क्षति पहुंची थी।

दुनिया के सबसे बड़े जहाज का जब भी जिक्र होता है, तो लोगों के जहां में टाइटैनिक का नाम सबसे पहले आता है। अक्सर लोग ऐसा समझते हैं कि टाइटेनिक शिप ही दुनिया का सबसे बड़ा जहाज था, लेकिन यह बात पूरी तरह से गलत है। बता दें कि दुनिया का सबसे बड़ा जहाज (Biggest Ship in The World) 3 दशकों तक सेवा में रहा। इस दौरान बहुत बार इसके नाम बदले गए और कई लोग इसके मालिक भी बने, जिन्होंने अपने अनुसार इस जहाज का नाम रखा।

इस जहाज का निर्माण जापानी शिप निर्माता कंपनी ने किया था, जिसे बनाने का आर्डर ग्रीक बिजनेसमैन ने दिया था। ईरान-इराक के युद्ध में फंस जाने के दौरान इस जहाज को काफी क्षति पहुंची थी। आखिर में इसने भारत में आकर अपनी यात्रा का अंत कर दिया था।

सीवाइज जायंट (Seawise Giant)

दरअसल, दुनिया का सबसे बड़ा जहाज सीवाइज जायंट था। जहाज के इतिहास की बात करें, तो इसे साल 1979 में बनाकर तैयार कर दिया गया था। ग्रीक बिजनेसमैन ने जापानी शिप निर्माता कंपनी सुमितोमो हेवी इंडस्ट्रीज को इसे बनाने का ऑर्डर दिया था, लेकिन बाद में उसने डील तोड़ दी थी। जिसके बाद कंपनी ने इस जहाज को हांगकांग स्थित शिपिंग मैग्नेट सीवाई तुंग को बेच दिया। इसके बाद जहाज में कई सारे बदलाव किए गए और इसकी क्षमता 1,40,000 टन बढ़ा दी गई। अब यह उस वक्त का सबसे वजनदार और विशाल जहाज बन चुका था।

करीब 458 मीटर था लंबा

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह जहाज करीब 458 मीटर लंबा था। जिसकी क्षमता 6 लाख टन से अधिक थी। इस जहाज को मोड़ने के लिए 2 मील से अधिक का स्पेस चाहिए था। वहीं, फुल स्पीड से रुकने के लिए इसे 5 मील की जरूरत पड़ती थी। यह जहाज आकार में इतना बड़ा था कि स्वेज या पनामा कैनल के पोर्ट पर इसकी एंट्री पॉसिबल नहीं थी। ऐसे में कई बार परेशानियों का भी सामना करना पड़ता था।

जहाज का सफर

साल 1988 में इराकी एयर फोर्स में इस जहाज पर मिसाइल दाग दी थी। जिस कारण जहाज बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। युद्ध खत्म होने के बाद इसे सिंगापुर ले जाकर मरम्मत कराई गई। तब नॉर्मन इंटरनेशनल नामक एक नॉर्वेजियन फर्म ने इसे खरीदकर इसका नाम हैप्पी जॉइंट कर दिया। वहीं, कुछ साल बाद नॉर्वे के जोर्गेन जाहरे ने जहाज को खरीदा और इसका नाम बदलकर जाहरे वाइकिंग कर दिया। फिर नॉर्वे के फर्स्ट ऑलसेन टैंकर्स ने 2004 में इसे खरीदा और नाम बदलकर नॉक नेविस रख दिया।

भारत में यात्रा हुई खत्म

जब इस जहाज में फ्यूल की खपत बढ़ने लगी थी, तब साल 2010 में इस जहाज को भारत लाया गया। यहां एक साल तक स्क्रैप करने के बाद जहाज के सफर को हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया। इस तरह यह दुनिया का सबसे बड़ा जहाज था, जिसका रिकॉर्ड आज तक नहीं टूटा है।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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