Obesity Related Myths : क्या मोटापा सिर्फ कमर की चौड़ाई बढ़ाता है..या ये हमारे दिमाग की रफ्तार भी कम कर देता है? ‘अरे दोस्त, इतना खाओगे तो दिमाग भी जाम हो जाएगा’ ये जुमला आपने कई बार सुना होगा। तो क्या वाकई ऐसा होता है कि शरीर की चर्बी दिमाग के सोचने वाले हिस्से को भी सुस्त कर देती है। यह सवाल हम में से कई लोगों को परेशान करता रहा है। इसी के साथ मोटापे से जुड़ी और भी कई ऐसे मिथक है जो बेहद प्रचलित हैं।
ये बात पूरी तरह सच है कि मोटापा सेहत के लिए हानिकारक है। ये सिर्फ हमारे लुक्स को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि कई बीमारियों का कारण भी बन जाता है। मोटापे के कारण दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और टाइप-2 डायबिटीज़ जैसी गंभीर बीमारियां होने की संभावना रहती है। मोटे लोगों को सांस लेने में दिक्कत (जैसे स्लीप एपनिया), घुटनों और कमर में दर्द और थकान भी जल्दी होती है। लेकिन साथ ही मोटापे से जुड़े कुछ मिथक भी हैं, जिनके पीछे का सच कुछ और है। आइए आज हम कुछ ऐसी ही बातें जानते हैं।

1: मोटापा दिमाग को धीमा कर देता है
मिथक : कई लोग मानते हैं कि ज्यादा वजन होने से सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है। कुछ पुरानी कहावतें तो यह भी कहती हैं कि “मोटा शरीर, सुस्त दिमाग”।
सच : विज्ञान इस मामले में थोड़ा जटिल है। कुछ शोध बताते हैं कि मोटापे से दिमाग के कुछ हिस्सों, खासकर प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (जो निर्णय लेने और आत्म-नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है), पर असर पड़ सकता है। मोटापे से जुड़ी सूजन (inflammation) और हार्मोनल बदलाव दिमाग की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हर मोटा व्यक्ति सुस्त दिमाग वाला होता है। कई रिसर्च में यह भी पाया गया कि नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार मोटापे के बावजूद दिमाग को चुस्त-दुरुस्त रख सकता है।
2: मोटापा सिर्फ खाने की आदतों से होता है
मिथक : “बस खाना कम करो, मोटापा गायब” – यह सलाह हर कोई देता है। लेकिन क्या यह इतना आसान है?
सच : मोटापा हर बार सिर्फ ज्यादा खाने का नतीजा नहीं होता है। इसमें जेनेटिक्स, हार्मोनल असंतुलन, नींद की कमी, तनाव, और यहाँ तक कि आपके आसपास का पर्यावरण भी खासी भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके जीन में मोटापे की प्रवृत्ति है तो आप कितना भी कम खाएँ, वजन कम करना मुश्किल हो सकता है। साथ ही, प्रोसेस्ड फूड और तनाव भरे लाइफस्टाइल ने मोटापे की समस्या को और बढ़ा दिया है।एक अध्ययन के मुताबिक, जो लोग रात को 6 घंटे से कम सोते हैं उनके मोटापे का खतरा 30% तक बढ़ जाता है। इसलिए मोटापा कम करना है तो अच्छी नींद भी जरूरी है।
3: मोटापा हमेशा बीमारियों का कारण है
मिथक : मोटापा सुनते ही लोग डायबिटीज, हार्ट अटैक और जोड़ों के दर्द की लंबी लिस्ट गिनाने लगते हैं। ये मान लिया जाता है कि मोटे व्यक्ति को कई बीमारियां होंगी।
सच : यह सच है कि मोटापा टाइप-2 डायबिटीज, हृदय रोग और कुछ कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है। लेकिन हर मोटा व्यक्ति बीमार नहीं होता। “मेटाबॉलिकली हेल्दी ओबेसिटी” एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का वजन ज्यादा होता है, लेकिन उनका ब्लड प्रेशर, शुगर, और कोलेस्ट्रॉल सामान्य रहता है। इसका मतलब है कि फिटनेस और हेल्दी आदतें बीमारियों को रोकने में वजन से ज्यादा मायने रखती हैं।
4: डाइटिंग से मोटापा हमेशा के लिए खत्म
मिथक : आप पिछले कुछ सालों का रिकॉर्ड उठाकर देखिए..आजकल हर साल नई-नई डाइट ट्रेंड आते हैं।। कभी कीटो तो कभी इंटरमिटेंट फास्टिंग, जूस डाइट, लिक्विड डाइट और भी जानें क्या क्या। माना जाता है कि डाइटिंग मोटापा कम करने की कुंजी है।
सच : क्रैश डाइटिंग से वजन तो कम हो सकता है, लेकिन ज्यादातर लोग कुछ महीनों बाद पुराने वजन पर वापस आ जाते हैं। इसका कारण है कि डाइटिंग अक्सर अस्थायी होती है और लोग अपनी पुरानी आदतों की ओर लौट जाते हैं। मोटापे से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है छोटे और टिकाऊ बदलाव अपनाना। जैसे कि ज्यादा पर्याप्त फाइबर लेना, नियमित व्यायाम और तनाव कम करना। एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग हफ्ते में एक बार अपना पसंदीदा डेजर्ट खाते हैं, वे सख्त डाइट वालों की तुलना में लंबे समय तक वजन कम रख पाते हैं। तो कभी कभी गुलाब जामुन ठीक है।
(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)