Olfactory Therapy : क्या कभी ऐसा हुआ है कि कोई खुशबू सुनकर आपका मूड अच्छा हो गया हो, तनाव दूर हो गया हो या फिर खाने की किसी चीज़ की खुशबू से भूख जाग गई हो। खुशबू का असर ही कुछ ऐसा होता है..ये हमारे जो हमारे मनोभावों को तेजी से प्रभावित करती है।
रसोई में पकते मसालों की खुशबू, ताजे पके आम की सुगंध या फिर चूल्हे पर बनती रोटी की महक हमारी भूख को बढ़ा देती है। यही कारण है कि रेस्तरां में खाने की खुशबू का माहौल बनाया जाता है ताकि ग्राहकों की भूख तेज हो जाए। कई बार कोई खास परफ्यूम, मिट्टी की सौंधी महक या किसी फूल की खुशबू हमें बचपन या किसी खास पल की याद दिला देती है। इसे Proust Effect कहा जाता है।
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क्या होती है Olfactory Therapy
लैवेंडर, चंदन, गुलाब या चमेली जैसी सुगंधें मन को शांत करने और तनाव को कम करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। वहीं, खट्टे फलों की महक जैसे नींबू और संतरा ताजगी और ऊर्जा देती हैं। आज हम आपको गंध चिकित्सा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे ओल्फेक्टरी थेरेपी (Olfactory Therapy) भी कहा जाता है। ये एक प्राकृतिक उपचार पद्धति है जिसमें विभिन्न सुगंधों और आवश्यक तेलों (Essential Oils) का उपयोग करके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संतुलन प्राप्त किया जाता है।
ओल्फेक्टरी थेरेपी कैसे काम करती है
जब हम किसी सुगंध को सूंघते हैं, तो वह हमारी नाक के अंदर मौजूद घ्राण तंत्रिका (Olfactory Nerve) के माध्यम से सीधे दिमाग के “लिम्बिक सिस्टम” (Limbic System) तक पहुंचती है। लिम्बिक सिस्टम हमारे भावनाओं, यादों और हार्मोनल संतुलन को नियंत्रित करता है। इस तरह, सुगंध सीधे हमारे मूड, तनाव, नींद और स्वास्थ्य पर अलग-अलग तरह से असर डालती है।
गंध चिकित्सा के लाभ
ओल्फेक्टरी थेरेपी से तनाव और चिंता कम हो सकती है। लैवेंडर, चंदन और कैमोमाइल जैसी सुगंध मानसिक शांति देती हैं। वहीं, लैवेंडर और Ylang-Ylang) जैसी सुगंध नींद लाने में भी सहायक होती हैं। अगर मूड बेहतर करना है तो संतरा, नींबू और रोज़मेरी जैसी खुशबू काम आएगी। ये आपको ताजगी और ऊर्जा देती हैं। वहीं नीलगिरी और पेपरमिंट की खुशबू बंद नाक और सर्दी-जुकाम में फायदेमंद होती हैं। पुदीना और लैवेंडर का तेल माइग्रेन और सिरदर्द में उपयोगी होता है। वहीं..लौंग, दालचीनी और Tea Tree ऑइल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
गंध चिकित्सा के प्रकार
- डिफ्यूज़र (Diffuser) का उपयोग करें : अपनी पसंद का अरोमा ऑइल डिफ्यूज़र में डालकर इस्तेमाल करें
- स्टीम थेरेपी : गर्म पानी में कुछ बूंद ऑइल डालकर उसकी भाप लें।
- मालिश (Aromatherapy Massage) : आवश्यक तेल को किसी अन्य तेल (Carrier Oil) में मिलाकर त्वचा पर मालिश करें।
- सुगंधित मोमबत्तियों का प्रयोग : प्राकृतिक तेलों से बनी मोमबत्तियां जलाएं।
- तकिए या रूमाल पर छिड़कें : अच्छी नींद के लिए लैवेंडर या गुलाबजल का उपयोग करें।
ये सावधानी रखें
इनका इस्तेमाल करते समय कुछ सावधानियां रखना जरूरी है। हमेशा शुद्ध और प्राकृतिक आवश्यक तेलों का ही उपयोग करें। गर्भवती महिलाओं और एलर्जी से परेशान लोगों को डॉक्टर की सलाह के बाद ही इनका उपयोग करना चाहिए। वहीं, कुछ तेल त्वचा पर सीधे लगाने से जलन कर सकते हैं, इसलिए इनके इस्तेमाल से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।
(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)