Sat, Dec 27, 2025

Father’s Day पर जानिए उस पिता की कहानी, जिसने रचा इतिहास! 87 बच्चों की उठाई जिम्मेदारी

Written by:Sanjucta Pandit
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सामान्य तौर पर एक पुरुष के ज्यादा से ज्यादा 15 या 20 बच्चे हो सकते हैं। लेकिन इतिहास में वह मामला दर्ज है, जब एक पुरुष 87 बच्चों का पिता बना।
Father’s Day पर जानिए उस पिता की कहानी, जिसने रचा इतिहास! 87 बच्चों की उठाई जिम्मेदारी

आज फादर्स डे (Father’s Day) मनाया जा रहा है। हर कोई सोशल मीडिया के जरिए अपने पिता को प्यार और आभार व्यक्त कर रहा है। हालांकि पिताजी के प्यार को शब्दों में बयान तो नहीं किया जा सकता। यह एक ऐसा रिश्ता होता है, जो सारी जिम्मेदारियां लेकर भी केवल हमारे चेहरे पर मुस्कुराहट देखने के लिए अपने सारे दुखों को भुला देता है। हम सभी के पिताजी हमें खुश रखने के लिए अपनी ख्वाहिशों को भुला देते हैं। कभी गुस्से में हमें डांट देते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर वही सबसे पहले साथ निभाते हैं। इस दुनिया में माता-पिता के अलावा तीसरा कोई भी ऐसा इंसान नहीं है, जिस पर आप आंख मूंदकर भरोसा कर सकें। पापा का प्यार और समर्पण दिखाई तो नहीं देता, लेकिन इसी पर हम सबकी पूरी दुनिया टिकी होती है।

ऐसे में आज हम आपको उस पिता के बारे में बताएंगे, जिसने अपने नाम पर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। जिनका जन्म 1707 में हुआ था और 1782 में मृत्यु हो गई थी।

बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

सामान्य तौर पर एक पुरुष के ज्यादा से ज्यादा 15 या 20 बच्चे हो सकते हैं। लेकिन इतिहास में वह मामला दर्ज है, जब एक पुरुष 87 बच्चों का पिता बना। उसका नाम फ्योडोर वासिल्येव (Feodor Vassilyev) था, जो रूस के रहने वाले थे। पेशे से वह किसान थे। उन्होंने दो पत्नियों से कुल 87 बच्चों को जन्म दिया, जिनमें से 85 जीवित रहे और इसी कारण उनका नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया।

ऐसे हुए 87 बच्चे

फ्योडोर वासिल्येव की पहली पत्नी 27 बार प्रेगनेंट हुईं, जिनमें से उन्होंने 16 बार जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। इस तरह उन्होंने कुल 69 बच्चों को जन्म दिया। इसके अलावा उन्होंने सात बार तीन-तीन बच्चों को जन्म दिया और चार बार चार-चार बच्चों को भी जन्म दिया। इसके बाद फ्योडोर वासिल्येव ने दूसरी शादी की। दूसरी पत्नी से उन्हें 18 बच्चे हुए। इसमें से उन्होंने छह बार जुड़वा बच्चों को जन्म दिया और दो बार तीन-तीन बच्चों को जन्म दिया। इस तरह वह कुल 87 बच्चों के पिता बने। इनमें से एक जुड़वा संतान की मृत्यु हो गई, जिसके बाद 85 बच्चे जीवित रहे।

लंदन से बात आई सामने

फ्योडोर वासिल्येव की कहानी पहली बार 1783 में लंदन में प्रकाशित की गई थी। लोगों तक यह कहानी उनके रिश्तेदारों के जरिए पहुंची, जो इंग्लैंड में रहते थे। उस समय लोगों तक अपनी बात रखने के लिए सीमित साधन थे। ऐसे में यह जानकारी फैलने में काफी लंबा समय लगा। हालांकि, आज की तारिख में हर कोई इनके बारे में जानता है।