Wed, Dec 24, 2025

सिर्फ मां-बाप की ये 1 गलती बना सकती है बच्चों को जिंदगी में नाकाम, जानिए क्या करें

Written by:Bhawna Choubey
Published:
Last Updated:
छोटी-छोटी पैरेंटिंग मिस्टेक्स बच्चों को बना सकती हैं कमजोर और असफल। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कुछ आदतें, जो आपको नॉर्मल लगती हैं, वही उनके आत्मविश्वास की सबसे बड़ी दुश्मन होती हैं।
सिर्फ मां-बाप की ये 1 गलती बना सकती है बच्चों को जिंदगी में नाकाम, जानिए क्या करें

क्या आपने कभी सोचा है कि बार-बार फेल होना सिर्फ बच्चों की गलती नहीं होती? असल में कई बार मां-बाप की कुछ छोटी और अनजानी गलतियां (Parenting Mistakes) बच्चों की पूरी जिंदगी को प्रभावित कर देती हैं। यही वजह है कि मेहनत के बावजूद बच्चा आत्मविश्वास खो बैठता है। अगर आप भी पैरेंट हैं, तो इन बातों को जानना आपके लिए जरूरी है।

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बच्चों के व्यक्तित्व और सफलता की नींव घर से ही बनती है। अगर शुरुआत में ही बच्चे को डांट-फटकार ज्यादा मिलती है, या उसकी तुलना दूसरों से की जाती है, तो वह अंदर से टूटने लगता है। उसे लगता है कि चाहे वह कितना भी अच्छा करे, माता-पिता संतुष्ट नहीं होंगे। यही सोच आगे चलकर उसे आत्मविश्वासहीन बना देती है और वह किसी भी चुनौती का सामना करने से डरता है।

बच्चों की परवरिश में बार-बार की जाने वाली गलतियां

कई पैरेंट्स अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बहुत कुछ करते हैं, लेकिन कुछ ऐसी आदतें होती हैं जो अनजाने में बच्चे को कमजोर बना देती हैं। उदाहरण के लिए हर छोटी बात पर डांटना, बच्चे की बात को महत्व न देना, उसकी तुलना किसी और से करना या फिर उसे अपनी मर्जी से चलाना। ये सब बातें बच्चे के दिमाग पर सीधा असर डालती हैं।

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, बार-बार की गई आलोचना या निगेटिव कमेंट्स बच्चे के दिमाग में एक ‘फेलियर माइंडसेट’ तैयार कर देते हैं। ऐसे बच्चे बड़े होकर भी रिस्क लेने से डरते हैं, खुद को कमतर समझते हैं और ज़िंदगी के फैसले दूसरों के भरोसे छोड़ देते हैं।

बच्चों की सफलता में माता-पिता की भूमिका कितनी अहम

बच्चों के सफल होने के पीछे माता-पिता की सोच और सपोर्ट बहुत मायने रखता है। जब पैरेंट्स उन्हें खुद पर विश्वास करना सिखाते हैं, तो बच्चे मुश्किल हालात में भी हार नहीं मानते। वहीं, जब बच्चों को हर कदम पर गाइड किया जाता है, लेकिन फैसले खुद नहीं लेने दिए जाते, तो वे कन्फ्यूज रहते हैं।

आज के समय में बच्चों को सिर्फ पढ़ाई में अच्छा बनाना काफी नहीं, उन्हें मानसिक रूप से मज़बूत बनाना और सही सोच देना भी ज़रूरी है। इसके लिए ज़रूरत है खुलकर बात करने की, उनकी भावनाओं को समझने की और उन्हें हर हाल में स्वीकार करने की।