मेहमानों के सामने ना कहें बच्चों से जुड़ी ये बातें, दिमाग पर पड़ सकता है बुरा असर

Parenting Mistakes: अक्सर जब घर पर मेहमान आते हैं, तो माता-पिता बातों ही बातों में बच्चों से जुड़ी कुछ ऐसी बातें कह जाते हैं, जो बच्चों के दिमाग पर बुरा असर डाल सकती हैं, यह बातें भले ही छोटी ही क्यों ना हो लेकिन बच्चों की मानसिक स्थिति के लिए सही नहीं है।

Bhawna Choubey
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Parenting Mistakes: माता-पिता की सभी बातों का असर बच्चों पर पड़ता है। इसलिए माता-पिता को हमेशा बच्चों के सामने सतर्क और समझदारी से पेश आना चाहिए, कई बार माता-पिता के द्वारा बोली गई बातें बच्चों की मानसिकता और भावनाओं पर गहरा असर छोड़ती है।

अक्सर जब घर में मेहमान आते हैं तो माता-पिता को ध्यान नहीं रहता है और वह बच्चों के सामने कुछ ऐसी बातें या हरकतें कर देते हैं, जिस वजह से बच्चों का आत्मविश्वास टूट जाता है, और वे अकेला महसूस करने लगते हैं।

मेहमानों के सामने न कहें ये बातें (Parenting Mistakes)

इसलिए बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास के लिए यह बहुत जरूरी है, कि माता-पिता, बच्चों के सामने ऐसे शब्दों या विचारों से बचें, जो उन्हें परेशान करते हो, चलिए इस आर्टिकल के द्वारा समझते हैं, कि बच्चों से जुड़ी ऐसी कौन-कौन सी बातें हैं, जिन्हें मेहमानों के सामने कभी नहीं कहनी चाहिए।

फिजिकल अपीरियंस के बारे में बात न करें

जब आपके घर में मेहमान आए तो कभी भी बच्चों के फिजिकल अपीरियंस को लेकर कोई भी कमेंट नहीं करना चाहिए, चाहे वह पॉजिटिव हो या फिर नेगेटिव। कई बार माता-पिता अपने बच्चों के फिजिकल अपीरियंस को लेकर मेहमानों के साथ बातें करते हैं, अगर आपका बच्चा शारीरिक रूप से फिट नहीं है, तो वह इन बातों को मजाक उड़ाने जैसा समझ सकता है, और इस बात का असर उसके दिमाग पर गहरा बैठ सकता है।

मार्क्स की ना करें चर्चा

अक्सर जब घर में मेहमान आते हैं, तो माता-पिता बिना सोचें समझे अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के बारे में और उनकी खराब परफॉर्मेंस के बारे में मेहमानों के साथ चर्चा करने लगते हैं। जब बच्चा यह सब सुनता है, तो उसका आत्मविश्वास टूट जाता है, साथ ही साथ उसकी मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ सकता है।

दूसरे बच्चों के साथ न करें तुलना

यह आदत हर माता-पिता में होती है, अभी हमेशा अपने बच्चों की तुलना दूसरों बच्चों के साथ करते हैं और हमेशा अपने बच्चों को दूसरों बच्चों की तरह बनने के लिए बोलते रहते हैं। लेकिन क्या ऐसा करना सही है, बिल्कुल भी नहीं माता-पिता को यह समझना चाहिए कि दुनिया में हर बच्चा अलग होता है। अगर आप मेहमानों के सामने अपने बच्चों की तुलना दूसरों बच्चों से करेंगे, तो बच्चों के मन में हीन भावना पैदा हो सकती है।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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