बच्चों की परवरिश करना कोई बच्चों का खेल नहीं है, अगर आपने भी यह बातें सुनी है तो बिलकुल सही सुना है। बच्चों की परवरिश करने के लिए माता-पिता को तरह-तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद भी कुछ न कुछ कमी परवरिश में रह ही जाती है। हर माता-पिता की यही कोशिश होती है कि वे अपने बच्चे को सबसे अच्छी परवरिश दें, आपका बच्चा ख़ूब पढ़े लिखे, अच्छे-अच्छे संस्कार सीखें और जीवन में बहुत आगे बढ़ें।
परवरिश के रास्ते में कई तरह के उतार-चढ़ाव आते हैं। वैसे तो सभी माता-पिता अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करते हैं, वे अपने बच्चे को हर प्रकार की सुख-सुविधा देते हैं, जितना हो सके अपने बच्चे को सिखाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी ऐसी कुछ गलतियां कर बैठते हैं जिसकी वजह से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है। हालाँकि, ये गलतियां कोई बड़ी नहीं है बहुत ही मामूली है, जिन्हें समय रहते बहुत ही आसानी से बदला जा सकता है या फिर सुधारा जा सकता है, चलिए फिर एक नज़र इन गलतियों पर डालते हैं।

क्या आप भी कर रहे हैं ये गलतियाँ? (Parenting Mistakes)
बच्चों की तुलना दूसरों से करना
अधिकांश माता पिता यह गलती करते हैं, वे अपने बच्चों की तुलना हमेशा दूसरे बच्चों से करते रहते हैं। माता पिता को यह ग़लत मामी रहती है कि अगर वे अपने बच्चों की तुलना उनसे बेहतर बच्चों से करेंगे तो बच्चों और बेहतर प्रदर्शन करेगा, और उसे प्रेरणा मिलेगी। लेकिन यह बिलकुल ग़लत है, इस तरह अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के साथ करने से बच्चा ख़ुद को कमज़ोर समझ लगता है, उसका आत्मविश्वास कमज़ोर हो जाता है, साथ ही साथ उन पर अनावश्यक दबाव भी पड़ता है, इसलिए इस बात का ध्यान रखें और इस बात को समझें कि दुनिया का हर बच्चा अलग होता है, इसलिए ना आपका बच्चा किसी और के जैसे हो सकता है न कोई और बच्चा आपके बच्चे की तरह हो सकता है। आपका बच्चा जैसा भी है वह अच्छा है, आप उसके प्रदर्शन को बेहतर करवाने के लिए कोई और तरीक़ा ढूंढ सकते हैं।
अनुशासन की कमी
बच्चों को अनुशासन बचपन से ही सिखा देना चाहिए। जब बच्चा बचपन से ही अनुशासन सीख जाता है तो बड़े होते होते उसे अनुसासन सीखने के लिए ना ज़्यादा समय देना पड़ता है न ही अपनी आदतों को बदलना पड़ता है। एक अनुशासित बच्चा जीवन में बड़ी उपलब्धियां प्राप्त करता है, जब बच्चों में अनुशासन नहीं रहता है तो वे ज़िद्दी हो जाते हैं, रोज़ाना अलग अलग दिनचर्या अपनाते हैं, नियमों को तोड़ते हैं, यह आदत उन्हें आगे चलकर मुसीबत में डाल सकती है। अक्सर माता पिता सोचते हैं कि बच्चा अभी छोटा है इसलिए उसे ज़्यादा अनुशासन सिखाने की आवश्यकता नहीं है, बड़ा होते होते बचा खुद ब खुद अनुशासन सीख जाएगा, यह ग़लत है आप बचपन से ही बच्चों को अनुशासन सिखाएं ताकि बड़े होते होते वे इस आदत में ढल जाए।
बच्चों की भावनाओं को नज़रअंदाज़ करना
बच्ची अपनी भावनाओं को अपने माता पिता के सामने ही व्यक्त करते हैं, लेकिन अक्सर माता पिता बच्चों की भावनाओं को समझते नहीं है और बच्चा समझ कर उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ऐसा करने से उन्हें महसूस होगा कि उनके मम्मी पापा उनकी भावनाओं की क़दर नहीं करते हैं, उनके बारे में नहीं सोचते हैं, इतना ही नहीं बड़े होते होते बची अपनी भावनाओं को मन में दबाने लगते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बचपन में जिस तरह से माता पिता उनकी बातों और भावनाओं को नज़रअंदाज़ करते थे वैसे ही वे अभी भी करेंगे, इसलिए अपने बच्चों को बोलने दें, तो उन्हें अपनी बात रखने का मौक़ा दें, और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें।