माता-पिता अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। जब बच्चा माँ के पेट में होता है तब से ही माता-पिता को उसकी परवरिश की चिंताएं सताने लगती है। माता-पिता बच्चों को हर खुशियाँ देते हैं, तमाम प्रकार की सुख-सुविधाएँ देते हैं जिससे की बच्चों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
हर माता-पिता की यही ख़्वाहिश होती है कि उनका बच्चा पढ़ाई लिखाई करके एक अच्छा व्यक्ति बने। इसी के चलते जब बच्चा तीन साल का हो जाता है, तब से ही उसकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। लेकिन क्या सुख सुविधाएँ देना और बड़े बड़े स्कूल में पढ़ाने से ही बच्चा सब कुछ सीख जाता है। इसके अलावा माता पिता को बचपन से ही बच्चों को कुछ चीज़ें सिखानी चाहिए।

हर माता-पिता को बच्चों को सिखानी चाहिए ये बातें (Parenting Tips)
साफ़ सफ़ाई
माता पिता को बचपन से ही बच्चों में साफ़ सफ़ाई की आदत डालनी चाहिए। बच्चों को हाथ धोना सिखाएंगे, बाथरूम का इस्तेमाल सही तरीक़े से करना सिखाएं, अपने कमरे को साफ़ सुथरा रखना सिखाएं, अपना बिस्तर अच्छे से रखना सिखाएं, अपने कपड़ों को सही जगह पर रखना सिखाया साथ ही साथ अपने जूते चप्पल को सही जगह पर रखना सिखाएं, अक्सर कई घरों में इन चीज़ों को नज़रअंदाज़ किया जाता है और बच्चों को ये आदतें नहीं सिखायी जाती है बहुत लोगों का ऐसा मानना होता है की जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है वैसे वैसे वह ये सारी आदत सी जाता है लेकिन यह धारणा ग़लत है, अगर बच्चे ने बचपन से ये सारी चीज़ें नहीं देखी है तो वह बड़े होते होते इन चीज़ों को करने में ख़ुद को अन्न कंफर्टेबल महसूस करेगा। इसलिए बचपन से ही बच्चों को ये आदतें सिखाएं।
टाइम मैनेजमेंट
बच्चों को बचपन से ही समय का महत्व सिखाएं, उन्हें बताया कि सही समय पर सही काम करना क्यों ज़रूरी होता है। सही समय पर खाना खाना सिखाएं, सही समय पर अपना होमवर्क करना सिखाएं, सही समय पर सोना और उठना सिखाएं। ये छोटी छोटी आदतें बच्चों को भविष्य में आगे बढ़ने में बहुत मदद करती है, बच्चों का टाइम टेबल सेट करना बहुत ज़रूरी होता है, ऐसा करने से बचे न सिर्फ़ उस समय का महत्व सीखते हैं बल्कि अनुशासन में भी रहते हैं।
पैसों की अहमियत
बच्चों को पैसों की अहमियत बचपन से ही दिखानी चाहिए। बच्चों को सिखाएं कि कहाँ पैसे ख़र्च करना ज़रूरी होता है और कहाँ पैसे ख़र्च करना ज़रूरी नहीं होता है। इस आदत से बच्चा बेवजह के खर्चों से बच सकेगा। इसके अलावा बच्चों को ज़रूरतों और चाहतों के बीच भी अंतर समझाएँ, कई बार कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिनकी हमें ज़रूरत नहीं होती है लेकिन हम उन्हें ख़रीद लेते हैं और पैसे ख़र्च कर देते हैं क्योंकि वे हमारी चाहत होती है, जब आप बच्चों को बचपन से ही राहत और ज़रूरत के बीच अंतर बताएँगे तो बड़े होते होते भी इस बात को बहुत ही अच्छे से सीख जाएंगे।