Parenting Tips: बच्चे छिपाने लगे हैं बातें? दोस्त बनकर जानिए राज, मजबूत होगा रिश्ता

Parenting Tips: टीनएज एक मुश्किल दौर होता है, न सिर्फ बच्चों के लिए, बल्कि माता-पिता के लिए भी। इस दौरान, बच्चे स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की चाहत रखते हैं, जिसके कारण वे कई बार अपने माता-पिता से बातें छिपाने लगते हैं।

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Parenting Tips: छोटे बच्चे अपने माता-पिता के साथ खुलकर बातें करते हैं, उनके साथ हंसते-खेलते हैं, और हर बात उनसे शेयर करते हैं। लेकिन जब बात टीनएज बच्चों की आती है, तो अक्सर ऐसा लगता है कि वे एक अलग ही दुनिया में रहते हैं। माता-पिता के पास ढेर सारी शिकायतें होती हैं – बच्चा उनसे मन की बात नहीं करता, उनके साथ वक्त नहीं बिताता, और हर बात पर बहस करता है।

यह सच है कि टीनएज बच्चों (Teenagers) को संभालना छोटे बच्चों की तुलना में कहीं ज्यादा मुश्किल होता है। इस उम्र में बच्चे शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरते हैं, जिसके कारण वे चिड़चिड़े, असुरक्षित और भावुक महसूस कर सकते हैं। साथ ही, वे स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की चाहत रखते हैं, जिसके कारण वे अपने माता-पिता से दूरियां बनाना शुरू कर देते हैं।

टीनएज , जीवन का वो दौर होता है जब बच्चे धीरे-धीरे एडल्ट की ओर बढ़ते हैं। इस दौरान उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलावों के साथ-साथ उनकी सोच और विचारों में भी बदलाव आता है। कई बार ये बदलाव इतने तेज़ होते हैं कि माता-पिता के लिए उनसे तालमेल बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
ऐसा लगता है जैसे बच्चे उनसे दूर हो रहे हैं और बाहरी दुनिया के बहकावे में आकर गलत रास्ते पर जा सकते हैं।

अपने बच्चों के साथ रहे दोस्त की तरह

Teenage बच्चों के साथ दोस्ती, माता-पिता के लिए एक अनमोल तोहफा है। यह रिश्ता न सिर्फ़ आपके बच्चों को सही रास्ते पर चलने में मदद करता है, बल्कि आपको उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनने का मौका भी देता है। लेकिन, कई बार माता-पिता यह सोचकर गलती कर बैठते हैं कि उनके बच्चे अब भी छोटे हैं और उन्हें समझने की कोशिश नहीं करते। यह सोच गलत है। किशोरवय बच्चों के साथ दोस्ती करने के लिए, सबसे पहले उन्हें समझना और उनसे दोस्ती करने की कोशिश करना ज़रूरी है।

1. उन्हें समझने की कोशिश करें

सबसे पहले, यह समझने की कोशिश करें कि आपके बच्चे इस उम्र से क्या गुजर रहे हैं। उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलावों को समझें। उनकी रुचियों, पसंद-नापसंद और सपनों को जानने की कोशिश करें।

2. खुला संवाद बनाए रखें

अपने बच्चों से खुलकर बात करें। बिना किसी डर या दबाव के उनसे किसी भी विषय पर बात करने के लिए प्रोत्साहित करें। उनकी बातों को ध्यान से सुनें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें।

3. उनका सम्मान करें

अपने बच्चों का सम्मान करें, चाहे उनकी राय या विचार आपसे कितने भी अलग क्यों न हों। उन्हें स्वतंत्र रूप से सोचने और निर्णय लेने का अधिकार दें। उनकी गलतियों से सीखने का मौका दें, उन्हें डांटने-फटकारने की बजाय उनका मार्गदर्शन करें।

4. उनके साथ समय बिताएं

अपने बच्चों के साथ नियमित रूप से समय बिताएं। उनके साथ उनकी पसंद की गतिविधियों में शामिल हों। उनके साथ खेलें, फिल्में देखें, या बाहर घूमने जाएं।

5. उनकी भावनाओं को स्वीकार करें

यह समझें कि किशोरवय बच्चे अक्सर भावनात्मक रूप से अस्थिर होते हैं। उनकी भावनाओं को स्वीकार करें, चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक। उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें सलाह और समर्थन दें।

6. सकारात्मक रोल मॉडल बनें

अपने बच्चों के लिए एक सकारात्मक रोल मॉडल बनें। अपने वादों को पूरा करें, ईमानदारी से पेश आएं और मुश्किलों का सामना करने का हौसला दिखाएं।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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