अगर बच्चा देखने लगा है अश्लील कंटेंट, तो इन टिप्स से करें बातचीत, बिना किसी झिझक के

बच्चों को अश्लील कंटेंट से बचाने के लिए सही मार्गदर्शन देना बेहद जरूरी है। सबसे पहले, उन्हें खुलकर संवाद करने का माहौल दें ताकि वे अपनी भावनाएं साझा कर सकें।

Parenting Tips

Parenting Tips: आजकल के डिजिटल युग में मोबाइल हर व्यक्ति के लिए जरूरी हिस्सा बन गया है, न सिर्फ बड़े बल्कि आजकल मोबाइल छोटे-छोटे बच्चों के हाथों में भी नजर आने लगा है। मोबाइल को लेकर छोटे-छोटे बच्चों की क्यूरोसिटी बढ़ती जा रही है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मोबाइल और इंटरनेट हमारे लिए बेहद जरूरी है। लेकिन हमें यह बात समझना बेहद जरूरी है, कि इसका सही इस्तेमाल करना इंसान को फायदा पहुंचा सकता है। वहीं अगर इसका जरा सा भी नकारात्मक इस्तेमाल किया तो यह व्यक्ति को बर्बाद भी कर सकता है, साथ ही साथ बिगड़ भी सकता है।

अक्सर माता-पिता को यह चिंता सताती रहती है, कि कहीं उनका बच्चा मोबाइल में अश्लील या अनैतिक कंटेंट तो नहीं देख रहा है। कहीं वह जाने-अनजानें में ऐसे कंटेंट तक तो नहीं पहुंच रहा है। ऐसे में यह जरूरी है की माता-पिता बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करें और उन्हें सही जानकारी दें। उन्हें समझाएं कि इंटरनेट पर क्या सुरक्षित है और क्या सुरक्षित नहीं है। इसके अलावा माता-पिता को इंटरनेट उपयोग की सीमाएं निर्धारित करनी चाहिए।

सहानुभूति से संवाद करें

अगर आपका बच्चा पोर्न है या अश्लील वीडियो देख रहा है, तो उसे डाटनें की बजाय स्थिति को सामान्य बनाने की कोशिश करें। सबसे पहले धैर्य रखें और बच्चे के साथ एक शांत और खुली बातचीत करें। उन्हें बताएं किस तरह का कंटेंट क्यों गलत है और उसकी संभावित नकारात्मक प्रभाव क्या-क्या हो सकते हैं। बातचीत के दौरान उनके विचार और भावनाओं को समझें, ताकि वह खुलकर अपनी राय रख सके। यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों को यह महसूस हो कि वह सुरक्षित है और उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढने में आप उनके साथ दे रहे हैं।

खुले संवाद से बनाएं भरोसेमंद रिश्ता

बच्चों को सही मार्गदर्शन देना हर माता-पिता की सबसे पहली जिम्मेदारी होती है, जब आप अपने बच्चों के साथ दोस्ताना संबंध बनाए रखते हैं तो यह आपसे किसी भी विषय पर खुलकर बात कर सकते हैं चाहे वह शरीर से जुड़ी बातें हो, प्रेगनेंसी के बारे में जानकारी हो या फिर अश्लील कंटेंट के बारे में ही बातें क्यों ना हो। यह विषय थोड़े संवेदनशील जरूर है। लेकिन यदि आप बच्चों से बिना झिझक बात करेंगे और उन्हें समझाने का मौका देंगे, तो वे खुद इन मुद्दों पर अपनी सोच आपके साथ साझा करेंगे। इस तरह की बातचीत न केवल बच्चों के मानसिक विकास में मदद करती है, बल्कि उन्हें सही दिशा में ले जाने में भी मदद करती है।

सकारात्मक संवाद से सही और गलत का भेद समझाएं

बच्चों के साथ बातचीत करते समय यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें स्पष्ट समझाया जाए की अश्लील कंटेंट में दिखाई जाने वाली चीज वास्तविकता से परे होती है और यह सही नहीं है। उन्हें रियलिटी से रूबरू कराने का प्रयास करें ताकि वह सही और गलत के बीच अंतर समझ सके। यदि आप सकारात्मक तरीके से अपने बच्चों की मदद करते हैं, तो वह हेल्दी सेक्स के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकेगा और उसकी सोच में बदलाव भी आएगा। इस तरह वह अश्लील सामग्री के संभावित दुष्प्रभावों से भी बच सकेगा इसके अलावा यह बातचीत उनके मानसिक स्वास्थ्य विकास में भी सहायक होगी। जिससे वह बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होंगे।

 सेक्स एजुकेशन देना जरूरी

बच्चों को समय के साथ सेक्स एजुकेशन देना बेहद जरूरी है, क्योंकि उन्हें अश्लील कंटेंट की जानकारी नहीं होती है , यह कमी उनके लिए खतरनाक साबित हो सकती है, क्योंकि वह इन चीजों की लत में पड़ सकते हैं। अगर आप उन्हें पहले से ही इन वीडियो और कंटेंट के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में बता देंगे या वे इन सबके बारें में स्कूल में सीखते हैं, तो उन्हें इन चुनौतियों का सामना करने का बेहतर मौका मिल जाएगा। इससे उनके मन में उठने वाले सवालों के जवाब भी उन्हें मिलते हैं, जो उन्हें सही दिशा में सोचने और सही विकल्प चुनने में मदद करता है। इस प्रकार बच्चों को सही जानकारी देने से वे अश्लील सामग्री से बच सकते हैं और एक स्वस्थ मानसिकता विकसित कर सकते हैं।

बच्चों के सवालों का जवाब देना और उनकी सीमाएं तय करना बेहद जरूरी होता है उन्हें यह पूछे कि स्क्रीन पर उन्होंने जो कुछ देखा क्या उसके बारे में कोई सवाल उनके मन में है। ऐसे में उन्हें अपने विचार साझा करने का मौका मिलेगा। इसके बाद उन्हें समझाएं की क्या सही है और क्या सही नहीं है ताकि वह भ्रामक जानकारी से दूर रह सके।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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