Parenting Tips: क्या आपका बच्चा खेलते समय दूसरों पर हाथ उठाता है? जानें इसके कारण और समाधान

Parenting Tips: बच्चे का किसी पर हाथ उठाना, माता-पिता के लिए बेहद चिंता का विषय होता है। लेकिन घबराएं नहीं, इस समस्या का समाधान है। आइए जानते हैं कि बिना गुस्सा किए आप अपने बच्चे को यह समझा सकते हैं कि हिंसा का कोई समाधान नहीं है।

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Parenting Tips: छोटे बच्चों की शरारतें और हरकतें तो होती रहती हैं, लेकिन जब ये शरारतें हिंसा की शक्ल ले लें, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। कई बार बच्चे खेलते-खेलते किसी पर हाथ उठा देते हैं या मारने लगते हैं। माता-पिता अक्सर इसे नासमझी समझकर नज़रअंदाज कर देते हैं, लेकिन अगर यह व्यवहार बार-बार दोहराया जाए तो यह एक गंभीर समस्या बन सकती है। जब बच्चा अपने माता-पिता पर ही हाथ उठाए तो माता-पिता खुद को दोषी मानने लगते हैं। उन्हें लगता है कि कहीं उन्होंने बच्चे की परवरिश में कोई गलती तो नहीं की। लेकिन यह याद रखना ज़रूरी है कि बच्चे का हिंसक व्यवहार हमेशा माता-पिता की गलती नहीं होता है।

दिमाग को शांत रखें

जब हमारा बच्चा गुस्से में आकर किसी पर हाथ उठाता है, तो यह हमारे लिए एक बहुत ही कठिन स्थिति हो सकती है। हमारी प्रतिक्रिया इस स्थिति को बेहतर या बदतर बना सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें खुद को शांत रखना चाहिए। जब हम गुस्से में होते हैं, तो हम अक्सर ऐसी बातें कह देते हैं या ऐसे काम कर जाते हैं जिनका हमें बाद में पछतावा होता है। गुस्से में बच्चे को डांटना या मारना समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि इसे और बढ़ा सकता है। इसके बजाय, हमें शांत रहकर बच्चे को समझाने की कोशिश करनी चाहिए कि ऐसा करना गलत है। हमें उसे प्यार से बताना चाहिए कि हिंसा का कोई समाधान नहीं है।

कारण समझने की कोशिश करें

जब हमारा बच्चा किसी पर हाथ उठाता है, तो हमें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि ऐसा करने के पीछे क्या कारण है। शायद वह किसी बात से परेशान हो, या उसे कुछ समझ नहीं आ रहा हो। शांत रहकर बच्चे से बात करना बहुत जरूरी है। हमें उसे बिना डांटे-फटकारे प्यार से समझाना चाहिए कि ऐसा करना गलत है। बच्चे को यह महसूस कराना चाहिए कि हम उसकी बात सुन रहे हैं और उसकी भावनाओं को समझ रहे हैं। कभी-कभी बच्चे अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाते हैं और वे गुस्से के रूप में बाहर निकाल देते हैं। इसलिए, हमें बच्चे को यह मौका देना चाहिए कि वह अपनी बात खुलकर कह सके। हम उससे पूछ सकते हैं कि उसे क्या परेशान कर रहा है, या वह क्या चाहता है। हो सकता है कि उसे कोई खिलौना चाहिए हो या वह किसी दोस्त के साथ खेलना चाहता हो।

आप बच्चों के आदर्श बनें

बच्चे, अपने आस-पास के लोगों को देखकर सीखते हैं। वे अपने माता-पिता को अपना आदर्श मानते हैं। इसलिए, अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा शांत और संयमित रहे, तो आपको खुद एक अच्छा उदाहरण पेश करना होगा। जब आप अपने बच्चे के सामने गुस्से में चिल्लाते हैं या किसी पर हाथ उठाते हैं, तो आप उन्हें सीधे तौर पर यह सिखा रहे हैं कि गुस्सा निकालने का यही तरीका है। बच्चे आपके व्यवहार को देखकर सीखेंगे कि जब उन्हें गुस्सा आए तो वे भी ऐसा ही कर सकते हैं। इसलिए, अपने व्यवहार पर विशेष ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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