Parenting Tips: पेरेंट्स की इन आदतों की वजह से बच्चा बन जाता हैं गुस्सैल, वक्त रहते सुधारें

Parenting Tips: बच्चों का गुस्सा आना एक आम बात है, लेकिन अगर ये गुस्सा अत्यधिक हो या बार-बार आ रहा हो तो माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन जाता है। कई बार हम खुद अनजाने में अपने बच्चों को गुस्सा दिलाने के कारण बन जाते हैं।

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Parenting Tips: बच्चों का गुस्सा आना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, लेकिन जब यह गुस्सा अत्यधिक हो या बार-बार आए तो यह चिंता का विषय बन जाता है। कई बार, हम माता-पिता, अपने बच्चों के गुस्से को बढ़ाने में अनजाने में योगदान देते हैं। हमारी कुछ आदतें और व्यवहार बच्चों को तनावग्रस्त और गुस्सैल बना सकते हैं। जैसे कि जब हम बच्चों से उनकी उम्र और क्षमता से अधिक की अपेक्षा करते हैं, या उन्हें अन्य बच्चों से तुलना करते हैं, या फिर उनकी भावनाओं को नज़रअंदाज़ करते हैं। ये सब कारण बच्चों में असुरक्षा और निराशा पैदा करते हैं, जिससे उनका गुस्सा बढ़ सकता है।

अधिक अनुशासन

अक्सर माता-पिता यह सोचते हैं कि बच्चों को अनुशासित करने से वे अच्छे इंसान बनेंगे। लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा अनुशासन बच्चों को चिड़चिड़ा और तनावग्रस्त बना सकता है। जब बच्चों को लगता है कि उनके पास कोई स्वतंत्रता नहीं है और उन्हें हर समय कुछ न कुछ करने के लिए कहा जा रहा है, तो वे गुस्सा करते हैं। बच्चों को थोड़ी आजादी देना और उन्हें अपनी बात कहने का मौका देना ज़रूरी है। इससे उन्हें यह महसूस होगा कि उनकी बात सुनी जा रही है और वे अधिक सहयोगी बनेंगे।

पेरेंट्स का अटेंशन न मिल पाना

बच्चों के लिए माता-पिता का ध्यान पाना बेहद ज़रूरी होता है। जब माता-पिता अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं देते हैं, तो बच्चे अक्सर खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। इस भावनात्मक उपेक्षा के कारण बच्चे अक्सर गुस्सा करते हैं। बच्चों को यह महसूस करने की ज़रूरत होती है कि वे प्यारे हैं और उनके माता-पिता उनकी परवाह करते हैं। जब बच्चे को लगता है कि उसके माता-पिता के पास उसके लिए समय नहीं है, तो वह ध्यान पाने के लिए तरह-तरह के तरीके अपना सकता है, जिनमें गुस्सा करना भी शामिल हो सकता है।

बच्चों को बार-बार टोकना

बच्चों को बार-बार टोकना उनके लिए एक बड़ा तनाव का कारण बन सकता है। जब हम बच्चों को लगातार कुछ न कुछ करने के लिए कहते हैं या उनकी हर छोटी-छोटी गलती पर उन्हें डांटते हैं, तो वे परेशान हो जाते हैं और गुस्सा करने लगते हैं। बार-बार टोके जाने से बच्चे असुरक्षित महसूस करते हैं और उन्हें लगता है कि वे कुछ भी सही नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनमें निराशा और हताशा की भावना पैदा होती है। बच्चों को समझाने के लिए नरम तरीके का इस्तेमाल करना बेहतर होता है। प्यार से समझाना और उन्हें यह बताना कि आप उनकी परवाह करते हैं, उनके व्यवहार में सुधार लाने का एक बेहतर तरीका है। जब आप बच्चों को प्यार से समझाते हैं, तो वे आपकी बातों को अधिक ध्यान से सुनते हैं और आपके निर्देशों का पालन करने की अधिक संभावना होती है।

पेरेंट्स का गुस्सा करना

बच्चे, माता-पिता की तरह ही एक शीशा होते हैं। वे जो देखते हैं, वही सीखते हैं। अगर माता-पिता अक्सर गुस्सा करते हैं तो बच्चे भी यही व्यवहार अपनाने लगते हैं। जब बच्चे छोटे होते हैं, तो वे अपने आसपास के लोगों के व्यवहार को अवलोकित करते हैं और उसी के अनुसार अपना व्यवहार ढाल लेते हैं। अगर माता-पिता गुस्से में चीखते-चिल्लाते हैं या चीजें फेंकते हैं, तो बच्चे भी ऐसी ही प्रतिक्रिया देना सीख जाते हैं। इसलिए, अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा शांत और संयमित रहे तो आपको खुद को शांत रखने की कोशिश करनी चाहिए। जब आप गुस्से में होते हैं, तो अपने बच्चे से बात करने से पहले कुछ समय के लिए शांत हो जाएं। गहरी सांस लें और अपने आप को शांत करने की कोशिश करें। बच्चों के साथ बात करते समय धैर्य और प्यार से बात करें। उन्हें समझाएं कि गुस्सा करना ठीक नहीं है और उन्हें शांत रहने का तरीका सिखाएं।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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