Parenting Tips: आजकल तनाव एक ऐसी समस्या बन चुकी है जो न सिर्फ बड़े लोगों को परेशान करती है बल्कि बच्चों को भी परेशान करती है। बच्चों की अच्छी परवरिश में माता-पिता का अहम रोल होता है। हर माता-पिता की यही ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा अच्छे से पढ़े-लिखे, अच्छे संस्कार सीखे और दुनिया में खूब नाम कमाएं।
लेकिन आजकल के बढ़ते मानसिक तनाव के चलते, जैसे पढ़ाई का दबाव, सोशल मीडिया का असर और परफेक्शन की चाहत यह सारी चीजें ही बच्चों का आत्मविश्वास दिन पर दिन कम करती जा रही है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चों की भावनाओं को समझें और उन्हें सही मार्गदर्शन करें।
माता-पिता को अपनानी चाहिए ये टिप्स (Parenting Tips)
सबसे पहले हर माता-पिता को यह समझने की जरूरत है कि जैसे-जैसे जमाना बदलता है, वैसे-वैसे बच्चों की आदतें भी बदलती है, साथ ही साथ पेरेंटिंग टिप्स भी बदलती हैं। कई बार माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश की तुलना अपने खुद की परवरिश से करते हैं, जो कि सरासर गलत है। इसलिए माता-पिता को समय के साथ बदलना जरूरी है, साथ ही साथ समय के हिसाब से अपने बच्चों का मार्गदर्शन करना जरूरी है।
बच्चों से खुलकर बात करने के फायदे
ऐसा अक्सर देखा जाता है की माता-पिता अपने बच्चों से खुलकर बात नहीं करते हैं, ना ही बच्चों की बातों को ढंग से सुनते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वह माता-पिता है अगर वह बच्चों के साथ ज्यादा घुल मिल जाएंगे, तो बच्चे उन्हें कुछ समझेंगे नहीं और बिगड़ जाएंगे। लेकिन ऐसा सोचना गलत है, बच्चों से खुलकर बात करना उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है।
जब बच्चे अपने पापा-मम्मी के साथ बिना किसी डर के बातों को शेयर करते हैं, तो वह बहुत ज्यादा ही सुरक्षित महसूस करते हैं। इसलिए माता-पिता को सख्ती बरतने की बजाय, अपने बच्चों के साथ खुलकर बातें करनी चाहिए। एक दोस्त के तरह अपने बच्चों की बातें सुननी चाहिए और फिर उन्हें सलाह देनी चाहिए।
बच्चों पर परफेक्शन का दबाव न डालें
अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को सबसे ज्यादा परफेक्ट बनाने की चाह रखते हैं और इसके लिए वह बहुत कोशिश भी करते हैं। बच्चों को हमेशा फोर्स करते रहते हैं, कि उन्हें सबसे अच्छा करना है, सबसे आगे बढ़ना है, लेकिन यह आदत बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है।
माता-पिता को अपने बच्चों की छोटी-छोटी अचीवमेंट की तारीफ करनी चाहिए। जिससे कि बच्चों को लगे कि उन्होंने जो काम करने की कोशिश की है, उसकी सराहना हो रही है, माता-पिता को यह समझना चाहिए कि हर बच्चा किसी न किसी चीज में परफेक्ट होता है। इसलिए, बच्चों की हर कोशिश की तारीफ करनी चाहिए।
उनकी क्षमताओं को समझें
कई बार पेरेंट्स बच्चों से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें लगाकर बैठते हैं। जिस वजह से बच्चों का तनाव बढ़ता है। बच्चों को हमेशा पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने या खेलों में परफेक्ट होने की जरूरत हो, ऐसा जरूरी नहीं है। इसलिए हर पेरेंट्स को अपने बच्चों पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहिए, बल्कि उनकी क्षमताओं को समझना चाहिए।
हर बच्चा अलग होता है, और उसे अपनी रुचि और पसंद के मुताबिक काम करने का मौका देना चाहिए। बच्चों को खुद को पहचानने और अपनी गति से आगे बढ़ने का अवसर देना, उनकी मानसिक स्थिति को बेहतर बनाए रखता है। साथ ही साथ उनका आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।
मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल हानिकारक
आजकल मोबाइल लोगों के लिए बहुत जरूरी हो गया है। एक बार के लिए लोग खाना पीना भूल सकते हैं लेकिन मोबाइल नहीं भूल सकते। जैसा कि देखा जाता है कि आजकल छोटे-छोटे बच्चों के हाथों में भी मोबाइल फोन नजर आता है। अत्यधिक मोबाइल का इस्तेमाल करने से बच्चों की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अक्सर माता-पिता अपने बच्चों की जिद पूरी करने के लिए मोबाइल फोन थमा देते हैं। इस आदत से बच्चों की सोचने की क्षमता, सामाजिक कौशल और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इसलिए जरूरी है की माता-पिता अपने बच्चों को मोबाइल फोन ना दें और अगर मोबाइल फोन दे भी रहे हैं, तो एक समय निर्धारित करें।