Parenting Tips: बच्चों को ऐसे समझाएं इमोशंस और फिलिंग्स के बारे में, बिना रोएं करेंगे सिचुएशन हैंडल

Parenting Tips: बच्चों के लिए अपनी भावनाओं को समझना और व्यक्त करना सीखना एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल है। यह उन्हें स्वस्थ संबंध बनाने, संघर्षों को हल करने और जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।

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Parenting Tips: हर माता-पिता अपने बच्चों की अच्छी से अच्छी परवरिश करते हैं। बच्चों के जीवन में माता-पिता का अहम किरदार होता है। माता-पिता बच्चों को हर सुख सुविधा देते हैं जिससे कि उन्हें किसी भी प्रकार की कोई भी परेशानी का सामना न करना पड़े। लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं उन्हें समझ पाना थोड़ा मुश्किल होता जाता है। गुस्सा खुशी या एक्साइटमेंट यह सभी एक प्रकार की नेचुरल इमोशन से जो न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़ों में भी साफ नजर आते हैं। इन इमोशंस का सामना करना बड़ों को बखूबी आता है लेकिन बच्चों के लिए यह थोड़ा मुश्किल हो जाता है, बच्चे अपने इमोशंस को समझ नहीं पाते हैं और खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते हैं। ऐसे में आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे कि कैसे आप अपने बच्चों के इमोशंस को समझ सकते हैं। जब बच्चे शब्दों से अपने इमोशंस को व्यक्त नहीं कर पाते हैं तो वह रोना, नखरे करना या पैर पटकना जैसी हरकतें करते हैं, तो चलिए समझते हैं कि किन टिप्स की मदद से आप अपने बच्चों के इमोशंस को समझ सकते हैं और उन्हें भी अपने इमोशंस के बारे में समझ सकते हैं।

इन तरीकों से आप अपने बच्चे की भावनाओं को समझ सकते हैं

1. अपनी भावनाओं को व्यक्त करें

बच्चे अपने आसपास के एडल्ट्स से सीखते हैं। जब आप अपनी भावनाओं को खुले तौर पर और ईमानदारी से व्यक्त करते हैं, तो यह आपके बच्चे को अपनी भावनाओं को पहचानने और व्यक्त करने में मदद करता है।

उदाहरण के लिए: “मैं अभी थोड़ा निराश महसूस कर रही हूं क्योंकि चीजें योजना के अनुसार नहीं हो रही हैं।” “मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि तुमने अपनी बात कही!” “मुझे डर लग रहा है कि अंधेरे में अकेले रहना।”

2. उनकी भावनाओं को स्वीकार करें

यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चे की सभी भावनाओं को स्वीकार करें, भले ही वे नकारात्मक हों। उन्हें यह बताने दें कि उनकी भावनाएं मान्य हैं और यह ठीक है कि वे कैसा महसूस करते हैं।

उदाहरण के लिए: “मुझे पता है कि तुम अभी गुस्से में हो। पर वक्त के साथ आप अच्छा महसूस करोगे ।” “यह निराशाजनक है जब चीजें तुम्हारे हिसाब से नहीं होती हैं।” “हर कोई कभी-कभी डर महसूस करता है।”

3. उन्हें अपनी भावनाओं को लेबल करने में मदद करें

बच्चों को यह समझने में मदद करें कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं, उन्हें अपनी भावनाओं को लेबल करने में मदद करके। इससे उन्हें अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने और उनका प्रबंधन करने में मदद मिलेगी।

उदाहरण के लिए: “ऐसा लगता है कि तुम अभी थोड़े उदास हो।” “क्या तुम उत्साहित महसूस कर रहे हो?” “मुझे लगता है कि तुम थोड़े डरे हुए हो।”

4. उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के स्वस्थ तरीके सिखाएं

बच्चों को अपनी भावनाओं को स्वस्थ तरीके से व्यक्त करना सिखाना महत्वपूर्ण है। इसमें बात करना, ड्राइंग करना, खेलना या व्यायाम करना शामिल हो सकता है।

उदाहरण के लिए: “अगर तुम गुस्से में हो, तो तुम इसके बारे में मुझसे बात कर सकते हो या पंचिंग बैग मार सकते हो।” “जब तुम दुखी महसूस कर रहे हो, तो तुम अपने पसंदीदा गीत सुन सकते हो या अपनी भावनाओं के बारे में ड्राइंग कर सकते हो।” “जब तुम उत्साहित महसूस कर रहे हो, तो तुम बाहर जाकर खेल सकते हो या नृत्य कर सकते हो।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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